Spritual -विग्रह अनुसार हनुमान जी की पूजा का फल

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श्रीहनुमते नमः 
भादौं में सिंदूर से, हनुमत का अभिषेक।
प्रेम भाव से जो करै, पावै बुद्धि विवेक।।

प्रारब्ध अध्यात्म डेस्क, लखनऊ 

धार्मिक ग्रंथो के आधार पर हनुमान जी की पूजा के फल विग्रह के अनुसार प्राप्त होते हैं।


पूर्वमुखी हुनमान जी


बजरंगबली का पूर्व की तरफ मुख होने वाले मूर्ति की वानर रूप में पूजा की जाती है। इस रूप में भगवान को बेहद शक्तिशाली और करोड़ सूर्य के
 तेज के समान बताया गया है। यह रूप शत्रुओं के नाश करने वाला होता है। दुश्मन अगर आप पर हावी हो रहे हैं तो इस पूर्वमुखी हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए।


पश्चिममुखी हनुमान जी


पश्चिम की तरफ मुख वाले हनुमान जी को गरुड़  रूप माना जाता है। इस रूप को संकट मोचन भी कहा गया है। मान्यता है कि भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ अमर है उन्हीं के समान  बजरंगबली भी अमर हैं।यही कारण है कि कलयुग के जागृत देवताओं में बजरंगबली को माना जाता है। 


उत्तरमुखी हनुमान जी


उत्तर दिशा की तरफ मुख वाले हनुमान जी की पूजा वाराह के रूप में होती है। उत्तर दिशा यानी ईशान कोण देवताओं की दिशा होती है जो शुभ और मंगलकारी है। इस दिशा में स्थापित बजरंगबली की पूजा से इंसान की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। इस और मुख किए भगवान की पूजा धन- दौलत, ऐश्वर्य, प्रतिष्ठा, लंबी आयु के साथ ही रोग मुक्त बनाती है। 

  
दक्षिणमुखी हनुमान जी


दक्षिण मुखी हनुमान जी को भगवान नरसिंह का रूप माना जाता है। दक्षिण दिशा यमराज की होती है, और इस दिशा में हनुमान जी की पूजा से इंसान के डर, चिंता और कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। दक्षिणमुखी हनुमान जी बुरी शक्तियों से बचाते हैं।


उर्ध्वमुख


ऊपर की ओर मुख किए गए  हनुमान जी का रूप घोड़े का माना गया है।इस स्वरूप में पूजा करने वालों को दुश्मनों और संकटों से मुक्ति मिलती है। इस रूप को भगवान ने ब्रह्मा जी के कहने पर धारण कर हयग्रीव का संघार किया था।


पंचमुखी हनुमान


पंचमुखी हनुमान में पांच रूपों की पूजा की जाती है। इस में रूप में हर मुख अलग-अलग शक्तियों का परिचायक है। अहिरावण ने जब छल से राम- लक्ष्मण को बंधक बना लिया था तो हनुमान जी ने पंचमुखी हनुमान का रूप धारण कर अहिरावण से उन्हें मुक्त कराया था। पांच दिए एक साथ बुझाने पर ही श्री राम- लक्ष्मण मुक्त हो सकते थे। इसलिए बजरंगबली ने पंचमुखी रूप धारण किया था। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम दिशा में गरुण मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं  पूर्व दिशा में हनुमान मुख में विराजे हैं।


एकादशी हनुमान 


यह रूप रुद्र यानी शिव का ग्यारहवां अवतार है। ग्यारह मुख वाले कालकारक मुख के राक्षस का वध करने के लिए भगवान ने एकादश मुख का रुप धारण किया था। चैत्र पूर्णिमा यानी हनुमान जयंती के दिन उस राक्षस का वध किया था। यही कारण है कि एकादशी और पंचमुखी हनुमान जी की पूजा सारे ही भगवानों की उपासना माना जाता है।


वीर हनुमान


हनुमान जी के इस स्वरूप की पूजा भक्ति, साहस और आत्मविश्वास पाने के लिए करते हें। इस रूप के जरिये भगवान के बल, साहस, पराक्रम को जाना जाता है। अर्थात तो भगवान श्रीराम के काज संवार सकता है। वह अपने भक्तों के काज और कष्ट क्षण में दूर कर देते हैं।


भक्त हनुमान


भगवान का यह स्वरूप श्रीरामभक्त का है। इनकी पूजा करने से भगवान श्रीराम का आर्शीवाद मिलता है। बजरंगबली की पूजा अड़चनों को दूर करने वाली होती है। इस पूजा से भक्तों में एकाग्रता और भक्ति की भावना जागृत होती है।


दास हनुमान



बजरंबली का यह स्वरूप श्रीराम के प्रति उनकी अनन्य भक्ति को दिखाता है। इस स्वरूप की पूजाकरने वाले भक्तों को धार्मिक कार्य और रिश्ते-नाते निभाने में निपुणता हासिल होती है। सेवा और समर्पण का भाव, भक्त इस स्वरूप के जरिये ही पाते हैं।


सूर्यमुखी हनुमान


यह स्वरूप भगवान सूर्य का माना गया है। सूर्य देव, बजरंगबली के गुरु माने गए हैं। इस स्वरूप की पूजा से ज्ञान, प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि और उन्नति का रास्ता खुलता है क्योंकि श्रीहनुमान के गुरु सूर्य देव अपनी इन्हीं शक्तियों के लिए जाने जाते हैं।

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