दिन : शुक्रवार
विक्रम संवत् : 2081
अयन : दक्षिणायन
ऋतु : शिशिर
मास : पौष
पक्ष : शुक्ल
तिथि : एकादशी प्रातः 10:19 बजे तक, तत्पश्चात द्वादशी
नक्षत्र : कृत्तिका दोपहर 01:45 बजे तक तत्पश्चात रोहिणी
योग : शुभ दोपहर 02:37 बजे तक, तत्पश्चात शुक्ल
राहुकाल : सुबह 11:26 बजे से दोपहर 12:47 बजे तक
सूर्योदय : प्रातः 06:58 बजे
सूर्यास्त : संध्या 05:34 बजे
दिशा शूल : पश्चिम दिशा में
ब्रह्ममुहूर्त : प्रातः 05:11 बजे से 06:05 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:55 बजे से दोपहर 12:37 बजे तक
निशिता मुहूर्त : रात्रि 11:50 बजे जनवरी 11 से रात्रि 12:43 बजे जनवरी 11 तक
व्रत पर्व विवरण
पुत्रदा एकादशी, तैलंग स्वामी जयंती, कूर्म द्वादशी
ज्योतिष,धर्म और वास्तु से संबंधित जानकारी के लिए
पुत्रदा एकादशी : 10 जनवरी 2025
एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?
1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगली से कंठ शुद्ध कर लें। वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें।
2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें।
हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।
एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए।
4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें।
5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है।
6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।
7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए। आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए।
8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए।
9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए।
10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है।
11. इस दिन बाल नहीं कटवाएं।
12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।
13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए(जागरण रात्र 1 बजे तक)।
14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।
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