दिनांक - 02 जनवरी 2025
दिन - गुरूवार
विक्रम संवत - 2081
शक संवत -1946
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शिशिर ॠतु
मास - पौष
पक्ष - शुक्ल
तिथि - तृतीया 03 जनवरी रात्रि 01:08 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र - श्रवण रात्रि 11:10 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
योग - श्रवण दोपहर 02:58 तक तत्पश्चात वज्र
राहुकाल - दोपहर 02:04 से शाम 03:26 तक
सूर्योदय 07:17
सूर्यास्त - 06:07
दिशाशूल - दक्षिण दिशा मे
व्रत पर्व विवरण -
विशेष- तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
चतुर्थी तिथि विशेष
03 जनवरी 2025 शुक्रवार को विनायक चतुर्थी है।
चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेशजी हैं।
पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।
शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥
अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।
व्यतिपात योग
व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका एक लाख गुना फल मिलता है।
वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।
व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी। जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुऐ नाराज हुऐ, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नही दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि जैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये ये भूल रहा है। सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसु बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।
व्यतिपात योग - 04 जनवरी 2025 शनिवार को सुबह 10:08 से 05 जनवरी, रविवार को सुबह 07:32 व्यतिपात योग है।
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