Jammu Kashmir's Four soldiers martyred : जम्मू-कश्मीर में सेना का वाहन खाई में गिरा, उत्तर प्रदेश के कानपुर का जवान शहीद

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चार जवानों में एक उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर जिले के शिवराजपुर क्षेत्र के दुर्गापुर के हवलदार पवन यादव


शहीद हवलदार पवन यादव की फाइल फोटो।




प्रारब्ध न्यूज़ डेस्क, लखनऊ/कानपुर 


जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले के सिरी इलाके में सेना का वाहन खाई में गिरने से शहीद हुए चार जवानों में एक कानपुर नगर जिले के शिवराजपुर क्षेत्र के दुर्गापुर के लांस हवलदार पवन यादव भी थे। हादसे में छह अन्य जवान घायल भी हुए हैं। जवान के शहीद होने की खबर से गांव में मातम छा गया। शहीद सैनिक का पार्थिव शरीर रविवार की रात तक गांव पहुंचने की संभावना है।


तमिलनाडु की आरआरटीए 155 बटालियन में दुर्गापुर के 35 वर्षीय हवलदार पवन यादव तैनात थे। पवन तीन भाइयों में सबसे बड़े थे। पिता सत्येंद्र यादव गांव के खेती किसानी करते है। पवन का छोटा भाई पारस व नीलू सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे हैं। पवन ने छह माह पहले ही जम्मू कश्मीर में तैनात किए गए थे। शनिवार दोपहर जम्मू कश्मीर के बांदीपोरा जिले के सिरी इलाके में सेना का ट्रक खाई में गिर गया, उस ट्रक में शहीद हुए दो जवानों में पवन यादव भी थे।


भाई पारस ने बताया कि शनिवार की दोपहर हुए हादसे की खबर उनको सेना मुख्यालय से देर शाम मिली है। उधर, पवन के शहीद होने की खबर मिलते ही स्वजन बेसुध हो गए। ग्राम प्रधान रिशांत पाल ने बताया कि गांव में मातम का माहौल है। परिवार को ढाढ़स बंधाया जा रहा है। रविवार तक शव आने की सूचना मिल रही है। वहीं, प्रयागराज में रह रही शहीद पवन की पत्नी और बच्चे रात तक गांव पहुंच जाएंगे। सभी रास्ते में हैं।


जनवरी में आना था, मिली शहीद खबर


दुर्गापुर में पवन के परिवार को उसके जनवरी माह में आने का इंतजार था। हादसे में पवन के शहीद होने की खबर से सब कुछ बिखर गया। मां गोमती देवी का रो-रोकर बुरा हाल था। वह बेटे के निधन की खबर को मानने के लिए तैयार नहीं थीं। पिता सत्येंद्र ने बताया कि पवन नवंबर माह में घर आया था और 3 दिसंबर को वापस ड्यूटी पर लौट गया। उसने कुछ महीनों बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने की बात कही थी। उसने जनवरी में वापस घर आने की बात कही थी। आज उसके शहीद होने की खबर आई।


दोपहर में आखिरी बार पिता से हुई थी बात



पिता सत्येंद्र ने बताया कि पवन अक्सर ड्यूटी के दौरान घर वालों से बात कर लेता था। हादसे के कुछ घंटे पहले उसने पिता सत्येंद्र से बात की थी। पिता ने बताया कि सत्येंद्र की बात मोबाइल पर कट रही थी। इस पर उसने तीन मिनट तक बात करने के बाद फिर बात करने की बात कहते हुए फोन काट दिया था। उन्होंने यह नहीं पता था कि बेटे से अंतिम बार बात हो रही है।


देश सेवा का जनून लेकर सेना में हुए थे भर्ती


तीन भाइयों में बड़े पवन को देश सेवा का जनून था। वह जब भी गांव आता तो सेना की बहादुरी के किस्से सुनाता था। पिता ने बताया कि 19 वर्ष की उम्र में सेना में भर्ती हुआ था। उन्होंने बताया कि पवन ने प्रयागराज में ड्यूटी के दौरान वहां पर बच्चों को पढ़ाने के लिए मकान ले लिया था। उसकी पत्नी सुषमा, पुत्र तेजस और पुत्री तनवी को लेकर प्रयागराज में रहती है। 

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