Ayodhya Shri Ram Janmabhoomi Mandir: नए वर्ष में हांड़ कंपाती ठंड के बीच श्रीराम लला के किए दिव्य दर्शन

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नव वर्ष के उपलक्ष्य में श्रीराम लला को माथा टेकने पहुंचे रिकॉर्ड श्रद्धालु, उमड़ पड़ा जन सैलाब 


श्रीराम लला के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु।


 प्रारब्ध न्यूज़ ब्यूरो, अयोध्या


नव वर्ष के पहले दिन बुधवार सुबह से ही प्रभु श्रीराम लला के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में ऐसा लग रहा था कि जनसैलाब उमड़ पड़ा है।श्रीराम लला के दर्शन के लिए श्रद्धालु पंक्तिबद्ध होकर अपनी बारी की प्रतीक्षा में धीरे-धीरे कदम-कदम आगे बढ़ रहे थे। उन्हें हांड़कंपाती सर्दी की भी परवाह नहीं थी। न ही उन्हें बदन चीरती शीत लहर की। बुधवार को नव वर्ष के पहले दिन रिकॉर्ड श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़।



नव वर्ष के उपलक्ष्य में सुबह से ही प्रभु के दर्शन के लिए कतारें लग गईं थीं। सबकी एक ही लालसा थी कि किसी तरह उन्हें आराध्य देव श्रीराम के दर्शन मिल जाएं। ताकि पूरा साल श्रीराम लला के आशीर्वाद से सुख-समृद्धि व सुविधा से संपन्न बनें रहें। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को पहली जनवरी को उमड़ने वाले श्रद्धालुओं के रेले का अंदाजा सप्ताह भर पहले ही  चल गया था। इसलिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की चहल-पहल दो-तीन शुरू हो गई थी। इसे ध्यान में रखते हुए दर्शन की पंक्तियां बढ़ा दीं गईं थीं। इसके अलावा दर्शन अवधि भी बढ़ा दी गई थी। उसके अनुरूप अन्य व्यवस्थाएं भी बढ़ाई गईं थीं। 


दर्शन के लिए लाइन में लगे 


श्रीराम लला के विराजमान होने के बाद नए कैलेण्डर वर्ष के प्रथम दिन का पहला अवसर था। लला की ड्योढ़ी तक पहुंचे प्रत्येक श्रद्धालु ने सुगमता से दर्शन मिल सकें इसकी व्यवस्था में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र और प्रशासन तन्मयता से लगा था जिसमें सफल भी रहा। आधी रात से ही पुण्य सलिला सरयू के घाटों पर भीड़ उमड़ने लगी थी। चहुंदिशि जयकारे गूंज रहे थे। श्रद्धा व आस्था के साथ सर्दी और शीतलहर की जंग जारी थी। दोनों पक्ष एक दूसरे पर भारी पड़ने के लिए होड़ लगाए थे। नगर निगम और स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से जलाये गये अलाव और मोटे-मोटे ऊनी कपड़े बचाव के हथियार बने थे। 



मौसम की निरन्तर प्रतिकूलता के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर था। श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर के आसपास का पूरा क्षेत्र श्रद्धालुओं से खचाखच भरा था। हनुमान गढ़ी, दशरथ महल, कनक भवन सभी में तिल रखने की जगह न थी। प्रमुख मन्दिरों के बाहर लंबी-लंबी कतारें थीं। किन्तु मर्यादा पुरुषोत्तम की नगरी में सब मर्यादा में थे इसलिए कहीं कोई समस्या न आई।

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