डायल 112के कंट्रोल रूम की फोटो। सौजन्य इंटरनेट |
प्रारब्ध न्यूज़ ब्यूरो, कानपुर
आमजन की सुरक्षा और त्वरित सहायता के लिए शुरू की गई यूपी डायल 112 सेवा में अब लोग फेंक काल करके परेशान करने लगे हैं। इसका दुरुपयोग इस कदर बढ़ गया है कि लोग अपने बच्चों की जिद्द करने से लेकर खाना नहीं खाने तक की शिकायतें करने लगे हैं। कोई प्रेम प्रसंग की बातें कर रहा है। हद यह है कि 112 सेवा पुलिस और लोगों के बीच सीधा संपर्क स्थापित करती है, लेकिन लोग इसका भी मजाक बनाने लगे हैं।कानपुर फेक कॉल्स के मामले में प्रदेश में सबसे ऊपर है।
112 के कंट्रोल रूम पर हर साल हजारों फेक कॉल्स आती हैं। पिछले एक साल में यूपी में कुल 5112 फेक कॉल्स की गईं, इसमें से सबसे ज्यादा 1967 कॉल्स सिर्फ कानपुर से आईं। आंकड़े पर गौर किया जाए तो कानपुर में फेक कॉल्स की समस्या बहुत गंभीर हो गई है।
फेक कॉल्स से सबसे अधिक परेशानी पीआरवी (पुलिस रिस्पांस व्हीकल) कर्मियों को हो रही है।जब वे घटनास्थल पर पहुंचते हैं और पता चलता है कि कॉल फेक थी तो उन्हें वास्तविक घटनास्थल पर पहुंचने में समय लग जाता है,जो कि आपात स्थिति में बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
पीआरवी के एक कर्मी ने नाम न ओपन करने की शर्त पर बताया कि कभी-कभी लोग ऐसी स्थिति पैदा कर देते हैं,जो गुस्से और हंसी दोनों का कारण बनती है।एक बार उन्हें महिला के घर पर जाना पड़ा,जहां महिला ने यह शिकायत की थी कि उसका बच्चा खाना नहीं खा रहा था इसलिए उसने 112 डायल कर दिया था।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कभी-कभी अपराधी भी फेक कॉल्स का सहारा लेते हैं, ताकि वे पुलिस की पीआरवी को किसी अन्य स्थान पर भेज सकें और अपराध स्थल से दूर कर सकें।फेक कॉल्स के लिए कई बार मुकदमे भी दर्ज किए गए हैं,लेकिन 7 साल से कम की सजा होने के कारण आरोपियों को पकड़ना मुश्किल हो जाता है।
कानपुर में बढ़ती फेक कॉल्स की समस्या 112 सेवा के वास्तविक उद्देश्य के लिए एक बड़ा खतरा बन चुकी है,क्योंकि ये कॉल्स आपातकालीन सेवाओं के असरदार तरीके से काम करने में रुकावट डाल रही हैं।
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