Refined oil injurious to health : रिफाइंड तेल से सिकुड़ रही सांस की नली

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सौजन्य इंटरनेट।


प्रारब्ध रिसर्च डेस्क 


बदलते समय के साथ हमारा खान-पान और जीवनशैली में तेजी से बदलाव हुआ है। अब हम शुद्ध कड़ुआ तेल यानी सरसों का तेल (Mustard Oil) को छोड़कर रिफाइंड तेल (Refined Oil) का ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं। यह एक तरह का स्टेटस सिंबल बन गया है। अधिकतर लोगों का मानना है कि सरसों का तेल तो सभी उसे करते हैं, रिफाइंड तेल का इस्तेमाल स्टैंडर्ड लोग करते हैं। उन्होंने यह नहीं पता कि रिफाइंड ऑयल को कई प्रोसेस के बाद तैयार किया जाता है। वह एक प्रकार से इस्तेमाल किए तेल की तरह होता है। बाजार में कई तरह के रिफाइंड ऑयल जैसे सोयाबीन ऑयल, सनफ्लावर ऑयल, मूंगफली तेल, राइस ब्रान ऑयल, पाम ऑयल उपलब्ध हैं, जो सेहत के लिए नुकसानदायक होते हैं।



विशेषज्ञों का मानना है कि कई प्रोसेस से गुजरने के बाद रिफाइंड ऑयल के प्राकृतिक यानी नेचुरल पोषक तत्व जैसे विटामिन और एंटीऑक्सिडेंट खत्म हो जाते हैं। कानपुर के श्रीनाथ प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग केंद्र के संस्थापक डा. रविन्द्र पोरवाल कहना है कि अगर आपने रिफाइंड तेल पर कंट्रोल नहीं किया तो उससे आपको खांसी, निमोनिया, अस्थमा समेत कई प्रकार की सांस संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं। सांस नली के पास चिपकने और उसमें धूल कण जमा होने से संक्रमण से सूजन होने से सां नली संकरी और चिपकने लगती है। इस वजह से सांस फूलने व सांस लेने में दिक्कत होती है।



विशेषज्ञ डा. रविन्द्र पोरवाल का मानना है कि रिफाइंड ऑयल खाने से यह गले में नासिका मार्ग से जाकर चिपक जाता है। यह पचता भी नहीं है। इसका सबसे बड़ा नुकसान यह है कि जब आप सांस लेते हैं तो बहुत सारे धूल व मिट्टी के कण गले और सांस की नली में जाकर वहां तेल के साथ जाकर चिपक जाते हैं। इसी वजह से बलगम भी बनने लगता है।



इसके अलावा डा. पोरवाल का कहना है कि रिफाइंड सिर्फ सांस के रोग या खांसी ही नहीं बल्कि कई बीमारियों की जड़ है। सवाल यह है कि रिफाइंड ऑयल के बजाय किस तेल का इस्तेमाल करना चाहिए? इस पर डॉ पोरवाल ने बताया कि रिफाइंड ऑयल को 100 फीसदी बंद करें, क्योंकि यह कई बीमारियों की जड़ है।



उनका कहना है कि इसके सेवन से ट्रांस फैट और खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने लगता है। इसमें मौजूद हानिकारक फैट वजन बढ़ाने का काम करते हैं। लंबे समय तक अधिक मात्रा में रिफाइंड तेल का उपयोग इंसुलिन रेसिस्टेंट को प्रभावित कर सकता है।



उच्च तापमान यानी हाई टेम्प्रेचर (High Temperature) पर तलने के कारण तेल में हानिकारक यौगिक भी बन सकते हैं, जिससे कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है। इसलिए डॉ पोरवाल ने बताया कि खाना बनाने के लिए सबसे अच्छा तेल कच्ची घानी या सरसों का तेल है। उनका कहना है कि सरसों का तेल बढ़िया है लेकिन इसका भी कम मात्रा में सेवन करना चाहिए। इसका सेवन करने से आपको जिंदगीभर सर्दी नहीं होगी।

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