दिनांक : 11 दिसम्बर 2024
दिन : बुधवार
विक्रम संवत् : 2081
अयन : दक्षिणायन
ऋतु : हेमन्त
मास : मार्गशीर्ष
पक्ष : शुक्ल
तिथि : एकादशी रात्रि 01:09 बजे, 12 दिसम्बर तक, तत्पश्चात द्वादशी
नक्षत्र : रेवती प्रातः 11:48 बजे तक तत्पश्चात अश्विनी
योग : वरीयान् शाम 06:48 बजे तक तत्पश्चात परिघ
राहु काल : दोपहर 12:02 बजे से दोपहर 01:20 बजे तक
सूर्योदय : प्रातः 06:51 बजे
सूर्यास्त : संध्या 05:13 बजे
दिशा शूल : उत्तर दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त : प्रातः 05:02 बजे से 05:57 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : कोई नहीं
निशिता मुहूर्त : रात्रि 11:35 बजे 11 दिसम्बर से रात्रि 12:30 बजे 12 दिसंबर तक
व्रत पर्व विवरण
श्रीमद्भगवद गीता जयंती, मोक्षदा एकादशी
एकदाशी में क्या करें, क्या ना करें
1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें, नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगुली से कंठ शुद्ध कर लें। वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है। इसलिए स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें।
2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, विष्णु सहस्रनाम पाठ करें।
हर एकादशी को श्रीविष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है।
राम रामेति रामेति। रमे रामे मनोरमे।।
सहस्त्र नाम त तुल्यं। राम नाम वरानने।।
एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है।
3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जाप करना चाहिए।
4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें।
5. एकदशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए, न ही किसी को खिलाएं। इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है।
6. व्रत के ( दशमी, एकादशी और द्वादशी ) - इन तीन दिनों में कांसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें।
7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए। आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए।
8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए।
9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा मांग लेनी चाहिए।
10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें, इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है।
11. इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए।
12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें।
13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक)।
14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है।
इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है।
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