विक्रम संवत् : 2081
अयन : दक्षिणायन
ऋतु : शिशिर
मास : पौष
पक्ष : कृष्ण
तिथि : अमावस्या प्रातः 03:56 बजे दिसम्बर 31 तक, तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र : मूल रात्रि 11:57 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा
योग : वृद्धि रात्रि 08:32 बजे तक, तत्पश्चात ध्रुव
राहु काल : प्रातः 08:41 बजे से प्रातः 10:01 बजे तक
सूर्योदय : प्रातः 06:56 बजे
सूर्यास्त : संध्या 05:27 बजे
दिशा शूल : पूर्व दिशा में
ब्रह्ममुहूर्त : प्रातः 05:08 बजे से 06:02 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:50 बजे से दोपहर 12:32 बजे तक
निशिता मुहूर्त : रात्रि 11:45 बजे दिसम्बर 31 से रात्रि 12:39 बजे दिसम्बर 31 तक
व्रत पर्व विवरण
सोमवती अमावस्या (सूर्योदय से प्रातः 03:56 बजे दिसम्बर 31 तक), पौष अमावस्या
आर्थिक लाभ, बुद्धिलाभ और पुण्यलाभ एक साथ
30 दिसम्बर, सोमवार को सूर्योदय से 31 दिसम्बर प्रातः 03:56 बजे तक सोमवती अमावस्या है।
दरिद्रता मिटाने के लिए
जिनकी रोजी-रोटी में बरकत न हो वे सोमवती अमावस्या के दिन मौन रहकर प्रात: स्नान करें तो उनको 1000 गोदान का फल मिलेगा। अगर पीपल देवता की 108 परिक्रमा करें तथा प्रार्थना करें : ‘हे वृक्षराज ! आपकी जड़ में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और शिखर में शिव तत्व हैं, आपको मेरा नमस्कार है। आप मेरे द्वारा की गई पूजा को स्वीकार करें और मेरे पापों का हरण करें, इससे आरोग्य भी प्राप्त होगा। ऐसे ही तुलसी की 108 बार परिक्रमा करें और प्रार्थना करें : ‘हे तुलसी माँ ! आप मेरे घर की दरिद्रता-दीनता नष्ट करें।
दरिद्रता मिटाने तथा नौकरी-पेशा लोग या जो काम-धंधे में विफल हैं अथवा जिनको किसी से कुछ लेना बनता है और रुका हुआ है। उनके लिए यह बहुत जरूरी है।
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