Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (26 दिसंबर 2024)

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आज का पंचांग 


दिनांक : 26 दिसम्बर 2024


दिन : बृहस्पतिवार  


विक्रम संवत् : 2081


अयन : दक्षिणायन


ऋतु : शिशिर


मास : पौष


पक्ष : कृष्ण


तिथि : एकादशी रात्री 12:43 बजे तक, तत्पश्चात द्वादशी   


नक्षत्र : स्वाती शाम 06:09 बजे तक तत्पश्चात विशाखा  


योग : सुकर्मा रात्री 10:24 बजे तक, तत्पश्चात धृति  


राहु काल : दोपहर 01:28 बजे से 02:47 बजे तक


सूर्योदय : प्रातः 06:54 बजे 


सूर्यास्त : संध्या 05:23 बजे 


दिशा शूल : दक्षिण दिशा में


ब्रह्ममुहूर्त : प्रातः 05:06 बजे से 06:00 बजे तक


अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:48 बजे से 12:30 बजे तक 


निशिता मुहूर्त : रात्रि 11:42 बजे से रात्रि 12:36 बजे तक


व्रत पर्व विवरण : सफला एकादशी



एकादशी व्रत के लाभ 


25 दिसम्बर 2024 बुधवार को रात्रि 10:29 बजे से 26 दिसम्बर, गुरुवार को रात्रि 12:43 बजे तक एकादशी है।


विशेष : 26 दिसम्बर, गुरुवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखे। जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है। जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।
एकादशी करने वालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं। और अपने परिवार वालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है। धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है। कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।

परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है। पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि, जिन्होंने एकादशी का व्रत किया‌। उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ। भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।


 एकादशी के दिन करने योग्य 

 एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें .......विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो 10 माला गुरुमंत्र का जप कर लें। झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे।

 एकादशी के दिन ये सावधानी रहे

महीने में 15-15 दिन में एकादशी आती है। एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है, लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए। एकादशी के दिन जो चावल खाता है... एक- एक चावल एक-एक कीड़ा खाने का पाप लगता है।







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