Kanpur - लाला ठंठीमल ने शुरू की थी कानपुर में पोस्टल सर्विस

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-शहर की बैंकिंग, पोस्टल व पुल निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान 

-1857 की क्रान्ति में नाना की सेना को वर्दी दी शिवप्रसाद खजांची ने 

-लाला तुलसीराम ने विक्टोरिया मिल के लिए दिया था पैसा 

-कानपुर इतिहास समिति ने लाला ठंठीमल को जयंती पर किया याद 

                 फाइल फोटो 
प्रारब्ध न्यूज़ ब्यूरो, कानपुर

लाला ठंठीमल खत्री का कानपुर जनपद बनने के समय से ही जिले के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका रही जिसे उनके परिवार ने भी उसे आगे बढ़ाया । आजादनगर में कानपुर इतिहास समिति द्वारा आयोजित लाला ठंठीमल जयंती कार्यक्रम में लाला ठंठीमल के कानपुर के विकास में योगदान की चर्चा करते हुए विनोद टंडन ने कहा प्रयागराज के लाला जगन्नाथ सबसे पहले अपने बेटे लाला ठंठीमल के साथ कानपुर आए और यहां पर पीपों का पुल बनवा कर महसूल भी वसूल करते थे । लाला जी ने इलाहाबाद और अन्य स्थानों के पुलों के निर्माण में भी काम किया था । इसके साथ ही इनलैण्ड ट्रांज़िट पोस्टल कम्पनी कायम की जो कानपुर की पहली डॉक कम्पनी थी। 


                   फाइल फोटो 
अध्यक्ष विश्वंभर नाथ त्रिपाठी ने कहा कि लाला ठंठीमल के बेटे लाला शिवप्रसाद जी ने आजादी की पहली जंग 1857 में नाना साहब पेशवा का सहयोग किया था । शिवप्रसाद जी ने नाना साहब पेशवा की सेना को वर्दी और तम्बू देकर सहायता पहुंचाई थी । महासचिव अनूप कुमार शुक्ल ने कहा कि लाला ठंठीमल खत्री कानपुर म्युनिस्पल कमेटी गठित होने से पहले लोकल कमेटी के सदस्य हुआ करते थे । जब म्युनिस्पल कमेटी गठित हुई तो उनके बेटे लाला शिवप्रसाद खजांची उसके सदस्य रहे और शहर के विकास में महत्वपूर्ण कार्य किए थे । 

डॉ ऊषा भार्गव ने कहा कि कानपुर के विकास में टंडन परिवार का महत्वपूर्ण योगदान है यह परिवार प्रयाग के बच्चा बाबू के परिवार की शाखा है । रिजर्व बैंक के हिन्दी अधिकारी आलोक कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि कानपुर शहर के बैंकिंग विकास में टंडन परिवार का योगदान स्तुत्य है। धर्मप्रकाश गुप्त ने कहा कि लाला ठंठीमल और उनके परिवार का योगदान स्तुत्य है इसे संजोने का कार्य हो उनके योगदान पर ग्रन्थ लिखा जाना आवश्यक है।

शुभम त्रिपाठी ने कहा कि लाला ठंठीमल के पुत्र लाला शिवप्रसाद जी द्वारा उन्नीसवीं शताब्दी में ही कानपुर पंचायती रामलीला कमेटी की स्थापना की गई और राजगद्दी का मंचन उनकी पत्थरवाली कोठी में होता था । हर्षित सिंह ने बताया कि वर्ष 1828 में सरसैयाघाट पर लाला ठंठीमल जी ने घाट एवं शिव मंदिर स्थापित किया जो बाद में नागा साधुओ को सौंप दिया उनके घाट पर आज भी एक गुरूद्वारा संचालित है । जगदीश भार्गव ने कहा कि लाला ठंठीमल और उनके परिवार ने अकाल के दौरान जो समाजसेवा की उसकी सराहना तत्कालीन अंग्रेज अफसरों ने भी की सीएसए परिसर का तालाब उन्हीं ने खुदवाया था । 

प्रमोद टंडन ने कहा कि शहर के औद्योगिक विकास में लाला तुलसीराम जी ने बहुत सा पैसा लगाया विक्टोरिया मिल स्थापना कराई थी । कुणाल सिंह बैस ने कहा कि कानपुर को बैंकिंग, पोस्टल की सेवाओं को देने के साथ गंगाघाट, मन्दिर, रामलीला आयोजन और 1857 की क्रान्ति में किए गये योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है । कार्यक्रम में विश्वंभर नाथ त्रिपाठी, आलोक कुमार श्रीवास्तव, विनोद टंडन, धर्मप्रकाश गुप्त डॉ ऊषा भार्गव,
डॉ नीलम शुक्ला, रेखा टंडन,हर्षित सिंह,शुभम त्रिपाठी, जगदीश भार्गव, कुणाल सिंह, प्रमोद टंडन आदि मौजूद रहे ।

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