जयपुर-अजमेर हाईवे पर एलपीजी टैंकर के कई वाहनों से टकराने से लगी भीषण आग से 14 लोगों की जलने से हो गई थी मौत
प्रारब्ध न्यूज़ ब्यूरो, जयपुर
शुक्रवार को जब कन्हैयालाल मीना राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल पत्नी को बस स्टॉप पर छोड़ने गए तो उन्हें शायद यह नहीं पता था कि यह उनकी आखिरी विदाई होगी। अनीता मीना उन 14 लोगों में शामिल थीं, जिनकी मौत जयपुर-अजमेर हाईवे पर एलपीजी टैंकर के कई वाहनों से टकराने के बाद हुई थी। इसकी वजह से भीषण आग लग गई थी, जिसमें 40 वाहन जल गए थे।
अनीता, जो चैनपुरा में आरएसी (राजस्थान सशस्त्र कांस्टेबुलरी) की चौथी बटालियन में तैनात थीं। शुक्रवार सुबह ड्यूटी पर रिपोर्ट करने के लिए दूदू से जयपुर जा रही थीं। अनीता, जो अपने परिवार की एकमात्र कमाने वाली थीं, सुबह तीन बजे बस में सवार हुईं।
हालांकि, भांकरोटा इलाके में दुर्घटना के दौरान स्लीपर बस में आग लगने से यात्रा जानलेवा हो गई। पीड़ितों और घायलों को सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल ले जाया गया।
दुर्घटना की खबर मिलते ही कन्हैलाल मीना अनीता की तलाश में जयपुर के एसएमएस अस्पताल पहुंचे। शुरुआत में अस्पताल के कर्मचारियों ने उन्हें बताया कि अनीता का नाम घायल यात्रियों की सूची में नहीं है। हालांकि, किसी अनहोनी की आशंका के चलते कन्हैलाल ने शवगृह की जांच की। अस्पताल में लाए गए अधिकांश शव इतने जले हुए थे कि उनकी पहचान करना मुश्किल था।
कन्हैलाल का सबसे बुरा डर तब सच साबित हुआ जब उसने एक शव पर अनीता के पैर की बिछिया को पहचाना। दंपति के दो छोटे बच्चे हैं। इस घटना में करीब 30 लोग घायल हुए हैं। आग पर पूरी तरह काबू पाने में दमकल विभाग को सात घंटे से ज्यादा का समय लगा। आग इतनी भयावह थी कि प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आग की लपटें करीब एक किलोमीटर दूर से देखी जा सकती थीं। एक स्कूल वैन चालक ने बताया कि हाईवे पर अफरा-तफरी मच गई।
उन्होंने कहा कि जब मैं घटनास्थल के करीब पहुंचा तो मैंने देखा कि लोग जल्दबाजी में भाग रहे हैं। मदद के लिए चिल्ला रहे हैं। मैंने एक व्यक्ति को आग की लपटों में घिरा देखा। यह एक भयावह दृश्य था। दमकल गाड़ियां और एंबुलेंस वहां मौजूद थीं, लेकिन शुरुआत में उनके लिए घटनास्थल पर पहुंचना मुश्किल था।
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