प्रारब्ध न्यूज़ डेस्क
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने एक अर्थशास्त्री के रूप में अपने जीवन की शुरुआत की थी। वह योजना आयोग से लेकर वित्त मंत्री के पद पर रहे। डॉ. मनमोहन सिंह ने साल 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री भी रहे।
रिजर्व बैंक के गवर्नर जैसे पद पर डॉ. मनमोहन सिंह रहे। केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में आर्थिक संकट से जूझते देश को नई आर्थिक नीति का उपहार दिया। प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए उदारवादी आर्थिक नीति को बढ़ावा दिया। साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को नई उड़ान दी।
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को गाह, पंजाब, ब्रिटिश भारत (अब पंजाब, पाकिस्तान) में एक सिख परिवार में गुरमुख सिंह और अमृत कौर के घर हुआ था। जब वह बहुत छोटे थे, तब उनकी मां की मृत्यु हो गई थी। उनकी नानी ने उनका पालन-पोषण किया। वह उनसे बहुत करीब थे।
सन 1947 में विभाजन के समय उनका परिवार भारत आ गया था।
भारत के विभाजन के बाद, उनका परिवार हल्द्वानी, भारत में चला आया था। उसके बाद सन 1948 में वे अमृतसर चले गए, जहां उन्होंने हिंदू कॉलेज, अमृतसर में अध्ययन किया। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, फिर होशियारपुर में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया। उसके बाद सन 1952 और सन् 1954 में क्रमशः स्नातक और मास्टर डिग्री प्राप्त की। डॉ. हमेशा अपने शैक्षणिक जीवन में अव्वल रहे। उन्होंने सन् 1957 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अपना अर्थशास्त्र ट्रिपोस पूरा किया।
वे सेंट जॉन्स कॉलेज के सदस्य थे। डी फिल. पूरा करने के बाद डॉ. सिंह भारत लौट आए। वे वर्ष 1957 से लेकर वर्ष 1959 तक पंजाब विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के वरिष्ठ व्याख्याता रहे।
वर्ष 1959 और वर्ष 1963 के दौरान, उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र में रीडर के रूप में काम किया और वर्ष 1963 से वर्ष 1965 तक वे वहां अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे। ऑक्सफोर्ड से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद डॉ. मनमोहन सिंह ने वर्ष 1966-1969 के दौरान संयुक्त राष्ट्र के लिए काम किया। उन्होंने अपना नौकरशाही करियर तब शुरू किया जब ललित नारायण मिश्रा ने उन्हें वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में सलाहकार के रूप में नियुक्त किया।
वर्ष 1970 और वर्ष 1980 के दशक के दौरान मनमोहन सिंह ने भारत सरकार में कई प्रमुख पदों पर कार्य किया, जैसे कि मुख्य आर्थिक सलाहकार (1972-1976), रिजर्व बैंक के गवर्नर (1982-1985) और योजना आयोग के प्रमुख (1985-1987) रहे।
वर्ष 1982 में उन्हें तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के अधीन भारतीय रिजर्व बैंक का गवर्नर नियुक्त किया गया और वर्ष 1985 तक इस पद पर रहे।
वर्ष 1985 से लेकर वर्ष 1987 तक योजना आयोग (भारत) के उपाध्यक्ष रहे। योजना आयोग में अपने कार्यकाल के बाद, वे वर्ष 1987 से नवंबर 1990 तक जिनेवा, स्विट्जरलैंड में मुख्यालय वाले एक स्वतंत्र आर्थिक नीति थिंक टैंक, साउथ कमीशन के महासचिव रहे।
मनमोहन सिंह सिंह नवंबर 1990 में जिनेवा से भारत लौट आए और चंद्रशेखर के कार्यकाल के दौरान आर्थिक मामलों पर भारत के प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में पद संभाला। मार्च 1991 में वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष बनाए गए।
साल 1991 में, जब भारत एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था। नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने गैर-राजनीतिक सिंह को वित्त मंत्री के रूप में अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया।
हालांकि ये उपाय संकट को टालने में सफल साबित हुए और वैश्विक स्तर पर सुधारवादी अर्थशास्त्री के रूप में मनमोहन सिंह की प्रतिष्ठा को बढ़ाया। जून 1991 में तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने सिंह को अपना वित्त मंत्री बनाया।
वर्ष 2004 में जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सत्ता में आई, तो इसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अप्रत्याशित रूप से प्रधानमंत्री पद डॉ . सिंह को सौंप दिया।
उनके पहले मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, विशिष्ट पहचान प्राधिकरण, ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और सूचना का अधिकार अधिनियम सहित कई प्रमुख कानून और परियोजनाएं क्रियान्वित कीं।
अपना कार्यकाल समाप्त होने के बाद, उन्होंने 2014 के भारतीय आम चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री पद की दौड़ से अपने को बाहर रखने का निर्णय लिया।
मनमोहन सिंह कभी भी लोकसभा के सदस्य नहीं रहे, लेकिन उन्होंने वर्ष 1991 से लेकर वर्ष 2019 तक असम राज्य और वर्ष 2019 से लेकर वर्ष 2024 तक राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते हुए राज्यसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया।
मनमोहन सिंह ने वर्ष 1958 में गुरशरण कौर से शादी की। उनकी तीन बेटियां हैं, उपिंदर सिंह, दमन सिंह और अमृत सिंह।
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