- ब्रिटिश सेफ्टी काउंसिल ने 'स्वार्ड आफ आनर' और नेशनल सेफ्टी काउंसिल ने प्रदान की गोल्डन ट्राफी
श्री राम जन्मभूमि मंदिर। |
प्रारब्ध न्यूज़ ब्यूरो, अयोध्या
श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर का निर्माण सुरक्षा के मामले में पूरी दुनिया में डंका बज रहा है। हर मानक में पंच तारांकित उपलब्धि के बाद स्पर्धा में राम मन्दिर शीर्ष पर रहा है। इतने भव्य और सुघड़ निर्माण में हजारों श्रमिक और विशालकाय मशीनें लगी हैं। इनके बीच रातों दिन भारी-भरकम पत्थरों के साथ काम करते हुए कोई चोट-चपेट का शिकार नहीं हुआ। निर्माण कार्य के दौरान किसी को भी अस्पताल तक पहुंचने की जरूरत भी नहीं पड़ी। इसे ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश सेफ्टी काउंसिल ने निर्माता एजेंसी को 'स्वार्ड आफ आनर' से नवाजा है। साथ ही नेशनल सेफ्टी काउंसिल ने गोल्डन ट्राफी प्रदान की है।
ट्राफी। |
प्रमाणपत्र। |
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र संवाद केंद्र के मुताबिक मंदिर की सुन्दरता, भव्यता, व्यवस्था,प्रतिदिन दर्शनार्थियों की संख्या, प्रसाद की उत्कृष्टता और दान -चढा़वे की बात में तो श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर पहले ही सबसे आगे है। अब इसके शौर्य मुकुट में एक और हीरा जड़ गया है।
ब्रिटिश सेफ्टी काउंसिल द्वारा पुरस्कार प्रदान किया गया। |
पारम्परिक नागर शैली में बन रहे श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर का क्षेत्रफल 380(पूरब- पश्चिम) गुणे 250 फिट तथा उंचाई 161 फिट है। यह मन्दिर 392 स्तम्भों एवं 44 कपाटों वाला है। मन्दिर पूर्वाभिमुखी है और सिंहद्वार 32 सीढ़ियों के साथ है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर को राजस्थान के बंशी पहाड़पुर पत्थरों (लगभग पंद्रह लाख क्यूबिक फीट) से बनाया जा रहा है। 11 जनवरी को श्रीराम लला की प्राण-प्रतिष्ठा को एक वर्ष पूरा होने जा रहा है। निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्र के अनुसार जून 2025 तक मन्दिर का निर्माण पूर्ण होने की आशा है।
नेशनल सेफ्टी काउंसिल ने गोल्ड ट्रॉफी प्रदान की। |
ब्रिटिश सेफ्टी काउंसिल की टीम ने निर्माण का स्थलीय निरीक्षण किया था। निर्माण की प्रक्रिया, स्थलीय क्रिया-कलाप, कार्य में प्रयोग की जा रही मशीनें, उनका संचालन, सुरक्षा उपकरणों का उपयोग, कार्यस्थल पर अनुशासन आदि बातों का सूक्ष्मता से अवलोकन किया है। इन सारे मानकों में पंच तारांकित उपलब्धि के उपरान्त ही निर्माण स्पर्धा की उत्कृष्टता में खरा उतरा है। इसलिए स्वार्ड आफ आनर प्रदान किया गया है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पत राय के अनुसार प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं के आवागमन के बीच निर्माण में निरन्तरता सामान्य नहीं है। किन्तु प्रारम्भ से ही सम्पूर्ण सावधानी बरती गई। परमात्मा की कृपा से सब अच्छा-अच्छा होता रहा। टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स (टीसीई) के सहयोग से मन्दिर निर्माण के लिए उत्तरदायी एजेंसी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) को नेशनल सेफ्टी काउंसिल ने गोल्डन ट्राफी प्रदान की है। इसमें महत्वपूर्ण उपलब्धि यह रही कि पांच सौ साल के संघर्ष के बाद प्रारम्भ हुए मन्दिर निर्माण में 15 लाख मिलियन घंटे से भी अधिक का मानव श्रम अपने आप में रिकार्ड है।
उल्लेखनीय है कि श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर में पांच मंडप हैं। ये हैं नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप। पास में ही ऐतिहासिक कुआं 'सीता कूप' है। दक्षिणी पश्चिमी कोने की ओर कुबेर टीला है, जिस पर गिद्धराज जटायु की मूर्ति स्थापित की गई है। मन्दिर की नींव चौदह मीटर मोटी सीमेंट की परतों वाली है, जो मजबूत चट्टान का आभास देती है। पूरे निर्माण में कहीं लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है। धरती की नमी से रक्षा के लिए 21 फिट ऊंचा प्लिन्थ (आधार) ग्रेनाइट से तैयार किया गया है। राम मन्दिर का सीवेज और पानी का अपना ट्रीटमेंट प्लांट है। आग पर नियंत्रण के लिए अपनी जल आपूर्ति प्रणाली है। केवल मन्दिर परिसर में बिजली आपूर्ति के लिए अलग पावर स्टेशन भी है।
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