टोल प्लाजा का ठेका दिलाने के नाम पर हड़पे 38 लाख, आरोपित गिरफ्तार

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- खुद को एनएचएआइ का प्रोजेक्ट इंजीनियर बताकर भुक्‍तभोगी को लिया झांसे में
- कानपुर में टोल प्लाजा खाली होने का दिया था आश्वासन, 22 लाख खाते में और शेष नकद लिया
- आरोपित चौबेपुर थाना क्षेत्र के धोबही ग्राम का निवासी तो पीड़ित रामपुर का, दोनों एकदूसरे से थे परिचित

प्रारब्ध न्यूज़ ब्यूरो, वाराणसी

कानपुर में खाली हो रहे टोल प्लाजा का ठेका दिलाने के नाम पर एक वांछित अभियुक्त ने कूटरचित फर्जी दस्तावेज तैयार कर चौबेपुर थाना क्षेत्र के रामपुर गांव निवासी गोविंद यादव से 38 लाख रुपये हड़प लिए। इस मामले में बीते 28 फरवरी को भुक्तभोगी द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे के आधार पर चौबेपुर पुलिस ने वांछित अभियुक्त को शुक्रवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
जाल्हूपुर पुलिस चौकी अंतर्गत रामपुर गांव निवासी गोविंद यादव का आरोप है कि क्षेत्र के धोबही ग्राम निवासी मनीष यादव पुत्र राम तिलक यादव स्थानीय होने के नाते उससे परिचित था। मनीष यादव खुद को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) का प्रोजेक्ट इंजीनियर बताते हुए मुझे व मेरे तीन अन्य सहयोगियों को झांसे में ले लिया। उसने कानपुर में टोल प्लाजा खाली होने का झांसा देकर ठेका दिलाने का आश्वासन दिया। 


वहीं, अपनी बात को पुख्ता करने के लिए ठेका दिलाने संबंधित दस्तावेज भी तैयार कर दिया जो बाद में कूटरचित व फर्जी निकला। जिसकी बातों में आकर उन्होंने टोल के ठेका के लिए अपने सहयोगियों से रुपये लेकर उसे 38 लाख रुपये दिए। जिसमें 22 रुपये मनीष ने अपने खाते में लिए और शेष धनराशि नकद लिया। 


भुक्तभोगी का आरोप है कि कई माह तक जब ठेका नहीं मिला तो आरोपित से रुपये वापस मांगने पर वह गाली देते हुए जान से मारने की धमकी देने लगा। ऐसे में थकहार कर बीते 28 फरवरी को मनीष यादव के खिलाफ संबंधित मामले में मुकदमा दर्ज कराने के संबंध में प्रार्थना पत्र दिया था। वांछित अभियुक्त को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम में एसीपी विजय प्रताप सिंह, अतिरिक्त थाना प्रभारी निरीक्षक जगदीश कुशवाहा, उपनिरीक्षक प्रदीप सिंह, कांस्टेबल अजीत सिंह रहे। 


इस संबंध में अतिरिक्त थाना प्रभारी निरीक्षक जगदीश कुशवाहा ने बताया कि वांछित ने भुक्तभोगी को कानपुर में टोल प्लाजा का ठेका दिलाने के नाम पर 38 लाख रुपये लिए थे। वहीं, जाल्हूपुर चौकी इंचार्ज प्रदीप सिंह ने बताया कि जब मामले की जांच की गई तो पता चला कि आरोपित ने 16 से 17 लाख रुपये भुक्तभोगी को वापस कर दिया है। हालांकि शेष रुपये उसके भी अन्यत्र कहीं फंस गए हैं।

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