प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव 2024 से जुड़ी बहुत ही बड़ी खबर सुप्रीम कोर्ट की है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस देकर पूछा है कि चुनाव में ईवीएम से मतदान के बाद VVPAT से निकली शत-प्रतिशत पर्चियों की काउंटिंग क्यों न की जाए ?
सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को याचिका की सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को यह नोटिस जारी किया जिसमें संसदीय क्षेत्र के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में केवल चुनिंदा 5 (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) ईवीएम के सत्यापन के बजाय चुनावों में सभी मतदाता सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पेपर पर्चियों की गिनती की मांग की गई थी।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने इसी तरह की राहत की मांग करते हुए एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा दायर एक अन्य याचिका के साथ याचिका को टैग करते हुए यह आदेश पारित किया।
याचिका में EC के दिशा-निर्देश को भी चुनौती दी गई है जिसमें कहा गया है कि VVPAT सत्यापन क्रमिक रूप से किया जाएगा, यानी एक के बाद एक, जिससे अनावश्यक देरी होगी। याचिका में दलील दी गई है कि यदि एक साथ सत्यापन किया जाए और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में गिनती के लिए अधिक संख्या में अधिकारियों को तैनात किया जाए, तो 5-6 घंटे के भीतर पूरा वीवीपैट सत्यापन किया जा सकता है।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि जबकि सरकार ने लगभग 24 लाख वीवीपैट की खरीद पर लगभग 5000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, तो केवल लगभग 20,000 वीवीपैट की पर्चियों की ही गिनती क्यों की जाती है?
वीवीपैट और ईवीएम के संबंध में जब अनेक विशेषज्ञों द्वारा गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं और यह तथ्य कि अतीत में ईवीएम और वीवीपैट वोटों की गिनती के बीच बड़ी संख्या में विसंगतियां सामने आई हैं, यह जरूरी है कि सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती की जाए और मतदाता को दी जाए। इस बात को ठीक से सत्यापित करने का अवसर है कि मतपत्र में डाला गया उसका वोट भी मतपेटी पर अपनी वीवीपैट पर्ची को भौतिक रूप से गिराने की अनुमति देकर गिना जाता है।
याचिकाकर्ता ने चार राहतें मांगी हैं -
(i) चुनाव आयोग अनिवार्य रूप से सभी वीवीपैट पेपर पर्चियों की गिनती करके वीवीपैट के माध्यम से मतदाता द्वारा 'डाले गए रूप में दर्ज' किए गए वोटों के साथ ईवीएम में गिनती को सत्यापित करे।
(ii) केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा तैयार और जारी किए गए अगस्त, 2023 के इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और वीवीपीएटी पर मैनुअल के दिशानिर्देश संख्या 14.7 (एच) को रद्द कर दिया जाए, जिसमें सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती से देरी होने का हवाला देते हुए केवल वीवीपीएटी पर्चियों के अनुक्रमिक सत्यापन (sequential verification) यानी चुनिंदा वीवीपैट की परचियों के मिलान का निर्देश दिया गया है।
(iii) चुनाव आयोग मतदाताओं को वीवीपैट पर्ची को अपने हाथों से मतपेटी में डालने की अनुमति दे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मतदाता का मत 'रिकॉर्ड के अनुसार गिना गया' है।
(iv) वीवीपीएटी मशीन के शीशे को पारदर्शी बनाया जाए और उसमें इतनी देर तक लाइट जले कि मतदाता अपने वोट की पर्ची को आराम से देख सके और पर्ची ड्रॉप बॉक्स में गिर सके।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन और नेहा राठी उपस्थित हुए। बता दें कि इससे पहले एडीआर द्वारा दायर इसी तरह की याचिका का जवाब देते हुए, भारत के चुनाव आयोग ने सभी वीवीपैट को सत्यापित करने में व्यावहारिक कठिनाइयों का हवाला दिया था।
चुनाव आयोग ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने एडीआर की याचिका पर सुनवाई करते हुए 100% वीवीपैट सत्यापन की मांग पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा था कि इससे बिना किसी महत्वपूर्ण लाभ के ईसीआई का बोझ बढ़ जाएगा।
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