दिनांक - 20 मार्च 2024,दिन - बुधवार
विक्रम संवत - 2080
शक संवत -1945
अयन - उत्तरायण
ऋतु - वसंत ॠतु
मास - फाल्गुन
पक्ष - शुक्ल
तिथि - एकादशी 21 मार्च रात्रि 02:22 तक तत्पश्चात द्वादशी
नक्षत्र - पुष्य रात्रि 10:38 तक तत्पश्चात अश्लेशा
योग - अतिगण्ड शाम 05:01 तक तत्पश्चात सुकर्मा
राहुकाल - दोपहर 12:46 से दोपहर 02:17 तक
सूर्योदय-06:43
सूर्यास्त- 18:48
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण - आमलकी एकादशी
विशेष - हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।
आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
-एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
-एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।
जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।
आमलकी एकादशी
20 मार्च को आमलकी एकादशी (व्रत करके आँवले के वृक्ष के पास रात्रि-जागरण, उसकी 108 या 28 परिक्रमा करने से सब पापों का नाश व 1000 गोदान का फल )
कालसर्प योग से मुक्ति पाने
कालसर्प दोष बहुत भयंकर माना जाता है | ज्योतिष के अनुसार उनका कालसर्प योग नहीं रहता जिनके ऊपर केसुड़े (पलाश ) के रंग - होली के रंग का फुवारा लग जाता है तो कालसर्प योग से मुक्ति हो गई | कालसर्प है ऐसा मानकर डरना नहीं अपने को दुखी करना नहीं है |
ब्रम्हवृक्ष पलाश
पलाश को हिंदी में ढ़ाक, टेसू, बंगाली में पलाश, मराठी में पळस, गुजराती में केसुडा कहते है | इसके पत्त्तों से बनी पत्तलों पर भोजन करने से चाँदी –पात्र में किये भोजन तुल्य लाभ मिलते हैं |
‘लिंग पुराण’ में आता है कि पलाश की समिधा से ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र द्वारा १० हजार आहुतियाँ दें तो सभी रोगों का शमन होता है |
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