- लोहे का टुकड़ा युवक की आंख की पुतली को क्षतिग्रस्त करते हुए लेंस में धंस गया था
- खेत में काम करने के दौरान बुजुर्ग किसान की आंख में धंस गया था लकड़ी का टुकड़ा
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युवक की आंख की पुतली में घुस गया था लोहे का टुकड़ा। |
प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर
गणेश शंकर विद्यार्थी स्मारक चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध हैलट अस्पताल स्थित नेत्र रोग विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ प्रोफेसर डाॅ. परवेज खान ने अपनी चिकित्सकीय और सर्जिकल तकनीक के जरिये युवक और बुजुर्ग किसानों की आंख की रोशनी बचाने में कामयाब हुए हैं। इसमें खराद में कार्य करने वाले युवक की आंख की पुतली में लोहे का टुकड़ा धंस गया था, जिसे जटिल आपरेशन करके पुतली से निकालने में कामयाब हुए हैं।सर्जरी के दौरान युवक की पुतली भी सुरक्षित बच गई।इसी तरह खेत में कार्यरत बुजुर्ग किसान की आंख में लकड़ी का टुकड़ा धंस गया था, जिसे डाक्टर ने निकालने का प्रयास किया तो आधा टूट कर अंदर ही रह गया था, उसे सर्जरी करके निकालने के साथ ही आंख भी बचाई।आपरेशन के बाद उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है, दोनों की पहले की भांति आंखों की रोशनी आ चुकी है। अपने अपने कार्य भी करने लगे हैं।
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आंख की पुतली में धंसा लोहे का टुकड़ा। |
कानपुर देहात जिले के पुखरायां निवासी 25 वर्षीय युवक खरादी का कार्य करता है।खराद मशीन में कार्य करने के दौरान लोहे का टुकड़ा छिटकर उसकी आंख की पुतली को क्षतिग्रस्त करते हुए आंख की लेंस में जाकर धंस गया था। इस वजह से उसकी आंख का प्राकृतिक लेंस पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसके चलते उसे दिखाई देना बंद हो गया था। युवक ने पहले पुखरायां और फिर कानपुर देहात के मांती स्थित जिला अस्पताल के डाक्टर को दिखाया, लेकिन डाक्टर ने हाथ खड़े करते हुए गणेश शंकर विद्यार्थी स्मारक चिकित्सा महाविद्यालय के हैलट अस्पताल भेज दिया। हैलट इमरजेंसी में जूनियर डाक्टरों ने नेत्र रोग विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. परवेज खान को युवक की समस्या बताई। उन्होंने युवक की आंखों की जांच कराई गई, लेकिन कुछ पता नहीं चल सका।उसके बाद विभाग में लगी सीटी स्कैन मशीन पर आंखों की जांच कराई तो लोहे का टुकड़ा लेंस में धंसा हुआ नजर आया। उन्होंने तत्काल आपरेशन की तैयारी की। सर्जरी कर प्रो. परवेज खान ने आंख के लेंस में धंसा लोह का टुकड़ा निकालकर नया लेंस लगाया, जिससे उसकी रोशनी वापस आ गई है।
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किसान की आंख में घुसा लकड़ी का टुकड़ा। |
इसी तरह फतेहपुर जिले के राधा नगर निवासी 60 वर्षीय सुरेश किसान हैं।खेत में कार्य करने के दौरान लकड़ी का टुकड़ा उछल कर उनकी आंख में जाकर धंस गया था।उनके परिजन उन्हें पहले फतेहपुर के जिला अस्पताल लेकर गए, उनकी आंख में धंसे लकड़ी को देखकर डाक्टर ने तत्काल कानपुर के हैलट अस्पताल लेकर जाने की सलाह दे दी।आनन-फानन स्वजन उन्हें हैलट अस्पताल की इमरजेंसी लेकर पहुंचे।जहां नेत्र रोग विभाग के जूनियर डाक्टरों ने उसे निकालने का प्रयास किया तो लकड़ी का टुकड़ा आधा टूटकर आधा आंख में ही रह गया।ऐसे में प्रो. परवेज खान ने आईबाल की सर्जरी कर लकड़ी का टुकड़ा निकाला है।साथी ही आईबाल को पंचर होने से भी बचाने में कामयाब रहे।
युवक की पुतली बचाना चुनौती था, उसकी उम्र कम थी और उसके घर में अकेला कमाने वाला था। इसलिए रिस्क लेते हुए आपरेशन किया, जो सफल रहा। इसी तरह बुजुर्ग किसान की आईबाल से लकड़ी का टुकड़ा निकाला भी जटिल था, ताकि वह क्षतिग्रस्त न होने पाए। फिर भी दोनों की सर्जरी की, जिसके बाद आंखों की रोशनी पूरी लौट आई है। दोनों अपने-अपने कार्य में वापस लग गए हैं।
प्रो. परवेज खान
वरिष्ठ प्रोेफेसर, नेत्र रोग विभाग, गणेश शंकर विद्यार्थी स्मारक चिकित्सा महाविद्यालय, कानपुर।
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