प्रारब्ध धर्म आध्यात्म डेस्क, लखनऊ
हर वर्ष सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। इस साल 30 अगस्त को पूर्णिमा है, लेकिन भद्रा के कारण राखी का त्योहार नहीं मनाया जाएगा। अगले दिन 31 अगस्त 2023 को पूर्णिमा तिथि सुबह 7 बजकर 15 मिनट तक है। ऐसे में बहनें 31 अगस्त को उदया तिथि में पूर्णिमा होने के कारण पूरे दिन राहुकाल को छोड़कर भाई को राखी बांध पाएंगी। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्यार के प्रतीक के रूप में माना जाता है। इस दिन बहनें भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध कर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। अगर आप अपने भाई के सुखी जीवन की कामना करती हैं तो रक्षाबंधन के दिन भाई से पहले भगवान को राखी जरूर बांधे।
भगवान गणेश को
भगवान गणेश शुभता के देवता हैं। किसी भी मांगलिक कार्य से पहले इनकी पूजा की जाती है। गणेश जी की कृपा से जीवन के सभी विघ्न-बाधाओं का अंत होता है। इसलिए रक्षाबंधन के दिन बहनें सबसे पहले भगवान गणेश को राखी बांधें।
शिव जी को
सावन का महीना शिव जी को समर्पित होता है। वहीं, रक्षाबंधन सावन के आखिरी दिन आता है। ऐसे में कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव शंकर को राखी बांधने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भाई का जीवन खुशहाल होता है।
हनुमान जी को
हनुमान जी भगवान शिव के रुद्रावतार हैं। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी को राखी बांधने से कुंडली में मंगल का प्रभाव कम होता है। साथ ही बल-बुद्धि की प्राप्ति होती है।
श्रीकृष्ण को
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिशुपाल का वध करते समय भगवान श्रीकृष्ण के हाथ से खून बहने लगा था। खून को रोकने के लिए द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण के हाथ में बांध दिया था। इसके बाद जब द्रौपदी का चीरहरण किया जा रहा था, तब भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा की थी। ऐसे में इस दिन भगवान कृष्ण को राखी बांधने से वे हमेशा आपकी रक्षा करते हैं।
नागदेव को
रक्षाबंधन के दिन नागदेव को राखी अर्पित करने की परंपरा है। मान्यता है कि इससे सर्प दोष के साथ भय से मुक्ति मिल सकती है। साथ ही भाई-बहन के जीवन में आने वाली सभी परेशानियां समाप्त होने लगती हैं।
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