प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, प्रयागराज
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद व गौतमबुद्धनगर में जनरल पावर आफ अटार्नी पंजीकृत करने पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सुप्रीमकोर्ट ने पावर आफ अटार्नी के जरिये संपत्ति बेचने को वैध करार दिया है, इसलिए इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती है।
हाईकोर्ट ने गाजियाबाद में पावर आफ अटार्नी से फर्जी ट्रांजेक्शन के जरिये प्रदेश के बाहर की बड़ी संख्या में संपत्तियां बेचकर सरकार को स्टैम्प शुल्क का नुकसान पहुंचाने मामले की जांच कर रही विशेष जांच दल (एसआईटी) को चार माह में जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने तहसील बार एसोसिएशन गांधीनगर गाजियाबाद और सोसायटी फिर वायस आफ ह्यूमन राइट्स एंड जस्टिस की तरफ से दाखिल याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा याचिका जनहित को लेकर दाखिल नहीं की गई है। कोई भी पीड़ित व्यक्ति कोर्ट में नहीं आया है। आईजी पंजीकरण (उप्र) ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि प्रदेश में कुल 92,520 पावर आफ अटार्नी पंजीकृत हुई हैं। इसमें 53,013 पावर आफ अटार्नी गाजियाबाद व 10,374 पावर आफ अटार्नी गौतमबुद्धनगर की हैं। तहसील सदर गाजियाबाद की 29,425 पावर आफ अटार्नी से प्रदेश के बाहर दूसरे प्रदेशों की संपत्तियां बेची गई है। इससे राज्य को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा है और विवाद उठे हैं। कोर्ट ने कहा सरकार ने स्वयं ही कहा कि पावर आफ अटार्नी पंजीकृत करने पर रोक नहीं है। बोगस ट्रांजेक्शन पर नियंत्रण के लिए एसआइटी जांच की जा रही है।
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