दिनांक - 21 अक्टूबर 2022,
दिन - शुक्रवार
विक्रम संवत - 2079 (गुजरात-2078)
शक संवत -1944
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद ॠतु
मास - कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार अश्विन)
पक्ष - कृष्ण
तिथि - एकादशी शाम 05:22 तक तत्पश्चात द्वादशी
नक्षत्र - मघा दोपहर 12:28 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
योग - शुक्ल शाम 05:48 तक तत्पश्चात ब्रह्म
राहुकाल - सुबह 10:56 से दोपहर 12:23 तक
सूर्योदय - 06:37
सूर्यास्त - 18:08
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण - रमा उएकादशी, गोवत्स द्वादशी, वाघ बारस, ब्रह्मलीन मातुश्री श्री माॅ महगीबाजी का महानिर्वाण दिवस
विशेष - हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।
आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।
जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।
रमा एकादशी
रमा एकादशी ( यह व्रत बड़े – बड़े पापों को हरनेवाला, चिन्तामणि तथा कामधेनु के समान सब मनोरथों को पूर्ण करनेवाला है |
24 अक्टूबर 2022 सोमवार को दीपावली है।
एकादशी
शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2022- रंभा (रमा) एकादशी
शुक्रवार, 04 नवंबर 2022- देवोत्थान, देवउठनी, प्रबोधिनी एकादशी
धनतेरस
22 अक्टूबर 2022 शनिवार को धनतेरस है ।
कार्तिक कृष्ण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अश्विन) त्रयोदशी के दिन को धनतेरस कहते हैं । भगवान धनवंतरी ने दुखी जनों के रोग निवारणार्थ इसी दिन आयुर्वेद का प्राकट्य किया था । इस दिन सन्ध्या के समय घर के बाहर हाथ में जलता हुआ दीप लेकर भगवान यमराज की प्रसन्नता हेतु उन्हे इस मंत्र के साथ दीप दान करना चाहिये-
मृत्युना पाशदण्डाभ्याम् कालेन श्यामया सह ।
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम ॥
(त्रयोदशी के इस दीपदान के पाश और दण्डधारी मृत्यु तथा काल के अधिष्ठाता देव भगवान देव यम, देवी श्यामला सहित मुझ पर प्रसन्न हो।)
काली चौदसः नारकीय यातनाओं से रक्षा
23 अक्टूबर 2022 रविवार को नरक चतुर्दशी (रात्रि में मंत्रजप से मंत्रसिद्धि, काली चौदस गुजरात), 24 अक्टूबर सोमवार को नरक चतुर्दशी (तैलाभ्यंग स्नान) ।
नरक चतुर्दशी (काली चौदस) के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल-मालिश (तैलाभ्यंग) करके स्नान करने का विधान है। 'सनत्कुमार संहिता' एवं 'धर्मसिंधु' ग्रंथ के अनुसार इससे नारकीय यातनाओं से रक्षा होती है।
काली चौदस और दीपावली की रात जप-तप के लिए बहुत उत्तम मुहूर्त माना गया है। नरक चतुर्दशी की रात्रि में मंत्रजप करने से मंत्र सिद्ध होता है।
इस रात्रि में सरसों के तेल अथवा घी के दिये से काजल बनाना चाहिए। इस काजल को आँखों में आँजने से किसी की बुरी नजर नहीं लगती तथा आँखों का तेज बढ़ता है।
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