प्रारब्ध न्यूज़ डेस्क लखनऊ
नारद संहिता के अनुसार हिजड़ों को हीरा जड़ित पवित्र इंसान बताया गया है। इन्हें किन्नर भी कहा जाता है। मंगल कार्य, विवाह, पुत्र प्राप्ति आदि शुभ कार्यों में इनका आगमन शुभ माना जाता है।
किन्नर समुदाय "मंगलमुखी" के "शुभ नाम" से जाना जाता है, क्योंकि वह समाज के केवल शुभ अथवा मंगल कार्यों में ही सम्मिलित होते हैं। मृत्यु या किसी भी अन्य प्रकार के शोक, अशुभ या अमंगल के समय वे कदापि किसी के भी यहां नहीं जाते। चाहे उन्हें बुलाया गया हो या इसके बदले उन्हें लाखों रुपए मिल रहे हो वह नहीं जाते हैं।
किन्नरों की जिंदगी में उनके गुरु ही सब कुछ होते हैं। गुरु की संपन्नता किन्नरों के कारण ही बढ़ती है। उनकी कमाई का आधा हिस्सा गुरु के पास जाता है और आधा हिस्सा बाकी किन्नरों में बंट जाता है।
किन्नर किसी भी शुभ काम में जाकर, ढोलक बजाकर और गीत संस्कार के अनुसार गाकर उस घर को एक सकारात्मक ऊर्जा देते हैं।वह अंतर्मन से आशीर्वाद भी देतें हैं। उनकी दुआएं बेशकीमती होती हैं। उनका आगमन उस घर के लिए शुभ माना जाता है, क्योंकि वह केवल शुभ कार्य में ही जाते हैं। उनका आना इस बात का द्योतक है कि इस घर में सब शुभ ही शुभ है।
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