विक्रम संवत : 2079
शक संवत : 1944
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद ॠतु
मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार श्रावण)
पक्ष - शुक्ल
तिथि - सप्तमी दोपहर 12:28 तक तत्पश्चात अष्टमी
नक्षत्र - अनुराधा रात्रि 10:57 तक तत्पश्चात जेष्ठा
योग - वैधृति शाम 05:00 तक तत्पश्चात विषकंभ
राहुकाल - सुबह 09:30 से सुबह 11:04 तक
सूर्योदय - 06:23
सूर्यास्त - 18:51
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण - राधा अष्टमी, महालक्ष्मी व्रत आरंभ, गौरी -आवाहन
विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।' (ब्रह्म पुराण')*
शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय।' का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण')
हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)
लक्ष्मी प्रप्ति व्रत
03 सितम्बर 2022 शनिवार से महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ
भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से आश्विन कृष्ण अष्टमी तक घर में अगर कोई महालक्ष्मी माता का पूजन करे और रात को चन्द्रमा को अर्घ्य दे तो उस के घर में लक्ष्मी बढ़ती जाती है।
इस वर्ष ये योग 03 सितम्बर 2022 शनिवार से 17 सितम्बर 2022 शनिवार तक है।
1) महालक्ष्मी का पूजन करें
2)रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देना कच्चे दूध(थोडासा) से, फिर पानी से।
3)महालक्ष्मी का मन्त्र जप करना।
ॐ श्रीं नमः
ॐ विष्णु प्रियाय नमः
ॐ महा लक्ष्मै नमः
इन में से कोई भी एक जप करे।
अन्नपूर्णा प्रयोग
प्रत्येक पूर्णिमा को घर के अन्न – भंडार के स्थान पर कपास के तेल का दीपक जलायें | इसके प्रभाव से घर की रसोई में बहुत बरकत होती है | यह अन्नपूर्णा प्रयोग हैं |
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