विक्रम संवत : 2079
शक संवत : 1944
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद ॠतु
मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार श्रावण)
पक्ष - कृष्ण
तिथि - द्वितीया शाम 03:20 तक तत्पश्चात तृतीया
नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी रात्रि 1104 तक तत्पश्चात हस्त
योग - साध्य 30 अगस्त रात्रि 01:04 तक तत्पश्चात शुभ
राहुकाल - शाम 07:56 से रात्रि 09:30 तक
सूर्योदय - 06:22
सूर्यास्त - 18:56
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण -
विशेष - द्वितीया
मंगलवार चतुर्थी* 🌷
भारतीय समय के अनुसार 30 अगस्त 2022 (शाम 03:34 से 31 अगस्त सूर्योदय तक) चतुर्थी है, इस महा योग पर अगर मंगल ग्रह देव के 21 नामों से सुमिरन करें और धरती पर अर्घ्य देकर प्रार्थना करें,शुभ संकल्प करें तो आप सकल ऋण से मुक्त हो सकते हैं।
मंगल देव के 21 नाम इस प्रकार हैं :-
1- ॐ मंगलाय नमः
2- ॐ भूमि पुत्राय नमः
3- ॐ ऋण हर्त्रे नमः
4- ॐ धन प्रदाय नमः
5- ॐ स्थिर आसनाय नमः
6- ॐ महा कायाय नमः
7- ॐ सर्व कामार्थ साधकाय नमः
8- ॐ लोहिताय नमः
9- ॐ लोहिताक्षाय नमः
10- ॐ साम गानाम कृपा करे नमः
11- ॐ धरात्मजाय नमः
12- ॐ भुजाय नमः
13- ॐ भौमाय नमः
14- ॐ भुमिजाय नमः
15- ॐ भूमि नन्दनाय नमः
16- ॐ अंगारकाय नमः
17- ॐ यमाय नमः
18- ॐ सर्व रोग प्रहाराकाय नमः
19- ॐ वृष्टि कर्ते नमः
20- ॐ वृष्टि हराते नमः
21- ॐ सर्व कामा फल प्रदाय नमः
ये 21 मन्त्र से भगवान मंगल देव को नमन करें, फिर धरती पर अर्घ्य देना चाहिए।अर्घ्य देते समय ये मन्त्र बोले :-
भूमि पुत्रो महा तेजा
कुमारो रक्त वस्त्रका
ग्रहणअर्घ्यं मया दत्तम
ऋणम शांतिम प्रयाक्ष्मे
हे भूमि पुत्र!..महा तेजस्वी,रक्त वस्त्र धारण करने वाले देव मेरा अर्घ्य स्वीकार करो और मुझे ऋण से शांति प्राप्त कराओ।
हरितालिका तीज
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 30 अगस्त, मंगलवार को है। विधि-विधान से हरितालिका तीज का व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है। इस व्रत की विधि इस प्रकार है-
विधि
इस दिन महिलाएं निर्जल (बिना कुछ खाए-पिए) रहकर व्रत करती हैं। इस व्रत में बालूरेत से भगवान शंकर व माता पार्वती का मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है। घर को साफ-स्वच्छ कर तोरण-मंडप आदि से सजाएं। एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सखी की आकृति (प्रतिमा) बनाएं।
प्रतिमाएं बनाते समय भगवान का स्मरण करें। देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन करें। व्रत का पूजन रात भर चलता है। महिलाएं जागरण करती हैं और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं। प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण किया जाता है। आरती और स्तोत्र द्वारा आराधना की जाती है।
भगवती-उमा की पूजा के लिए ये मंत्र बोलें-
ऊं उमायै नम:, ऊं पार्वत्यै नम:, ऊं जगद्धात्र्यै नम:, ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ऊं शांतिरूपिण्यै नम:, ऊं शिवायै नम:
भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करें-
ऊं हराय नम:, ऊं महेश्वराय नम:, ऊं शम्भवे नम:, ऊं शूलपाणये नम:, ऊं पिनाकवृषे नम:, ऊं शिवाय नम:, ऊं पशुपतये नम:, ऊं महादेवाय नम:
पूजा दूसरे दिन सुबह समाप्त होती है, तब महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं और अन्न ग्रहण करती हैं।
ससुराल में कोई तकलीफ
किसी सुहागन बहन को ससुराल में कोई तकलीफ हो तो शुक्ल पक्ष की तृतीया को उपवास रखें।उपवास माने एक बार बिना नमक का भोजन कर के उपवास रखें ।भोजन में दाल चावल सब्जी रोटी नहीं खाएं , दूध रोटी खा लें ।शुक्ल पक्ष की तृतीया को,अमावस्या से पूनम तक की शुक्ल पक्ष में जो तृतीया आती है उसको ऐसा उपवास रखें।नमक बिना का भोजन(दूध रोटी) , एक बार खाएं बस अगर किसी बहन से वो भी नहीं हो सकता पूरे साल का तो केवल
माघ महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया
वैशाख शुक्ल तृतीया और भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया जरुर ऐसे 3 तृतीया का उपवास जरुर करें।नमक बिना करें जरुर लाभ होगा।
विशेष - 30 अगस्त 2022 मंगलवार को भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया है ।
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