विक्रम संवत : 2079
शक संवत : 1944
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद ॠतु
मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार श्रावण)
पक्ष - कृष्ण
तिथि - चतुर्दशी दोपहर 12:23 तक तत्पश्चात अमावस्या
नक्षत्र - अश्लेशा शाम 06:33 तक तत्पश्चात मघा
योग - परिघ 27 अगस्त रात्रि 02:12 तक तत्पश्चात शिव
राहुकाल - सुबह 11:05 से दोपहर 12:40 तक
सूर्योदय - 06:21
सूर्यास्त - 18:59
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
अमावस्या
भाद्रपद, कृष्ण अमावस्या, शनि अमावस्या
शनिवार, 27 अगस्त 2022
अमावस्या प्रारंभ: 26 अगस्त 2022 दोपहर 12:24 बजे
अमावस्या समाप्त: 27 अगस्त 2022 को दोपहर 01:47 बजे
व्रत पर्व विवरण - पिठोरी - दर्श अमावस्या
विशेष - चतुर्दशी और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
अमावस्या विशेष
26 अगस्त 2022 शुक्रवार को पीठोरी - दर्श - हरियाली अमावस्या एवं 27 अगस्त, शनिवार को कुशाग्राहिणी अमावस्या है।
स्कन्दपुराण के प्रभास खंड के अनुसार
"अमावास्यां नरो यस्तु परान्नमुपभुञ्जते ।। तस्य मासकृतं पुण्क्मन्नदातुः प्रजायते"
जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महिने भर का पुण्य उस अन्न के स्वामी/दाता को मिल जाता है।
समृद्धि बढ़ाने के लिए
कर्जा हो गया है तो अमावस्या के दूसरे दिन से पूनम तक रोज रात को चन्द्रमा को अर्घ्य दे, समृद्धि बढेगी ।
दीक्षा मे जो मन्त्र मिला है उसका खूब श्रध्दा से जप करना शुरू करें , जो भी समस्या है हल हो जायेगी ।
खेती के काम में ये सावधानी रहे
ज़मीन है, अपनी खेती में काम करते हैं तो अमावस्या के दिन खेती का काम न करें न मजदूर से करवाएं | जप करें भगवत गीता का 7 वां अध्याय अमावस्या को पढ़ें और उस पाठ का पुण्य अपने पितृ को अर्पण करें।सूर्य को अर्घ्य दें और प्रार्थना करें " आज जो मैंने पाठ किया अमावस्या के दिन उसका पुण्य मेरे घर में जो गुजर गए हैं उनको उसका पुण्य मिल जाये | " तो उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पति बढ़ेगी |
अगर घर में परिवार के सदस्य में कलेश मनमुटाव रहता हो अशांति रहती हो आए दिन घरेलू झगड़े रहते हैं तो अमावस्या की दिन घर में पोछा मारने से पहले पानी में गोमूत्र फिटकरी कपूर और थोड़ा-सा सेंधा नमक मिला लें इससे पूरे घर में पोछा मारे गृह क्लेश अवश्य शांत होंगे।
अमावस्या
अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है। (विष्णु पुराण)
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