विक्रम संवत : 2079
शक संवत : 1944
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद ॠतु
मास - भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार श्रावण)
पक्ष - कृष्ण
तिथि - त्रयोदशी सुबह 10:37 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र - पुष्य शाम 04:16 तक तत्पश्चात अश्लेशा
योग - वरीयान् 26 अगस्त रात्रि 01:57 तक तत्पश्चात परिघ
राहुकाल - दोपहर 02:16 से शाम 03:51 तक
सूर्योदय - 06:21
सूर्यास्त - 18:59
दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
अमावस्या
भाद्रपद, कृष्ण अमावस्या, शनि अमावस्या
शनिवार, 27 अगस्त 2022
अमावस्या प्रारंभ: 26 अगस्त 2022 दोपहर 12:24 बजे
अमावस्या समाप्त: 27 अगस्त 2022 को दोपहर 01:47 बजे
व्रत पर्व विवरण - मासिक शिवरात्रि, गुरुपुष्यामृत योग (सूर्योदय से शाम 04:16 तक)
विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
गुरुपुष्यामृत योग
25 अगस्त 2022 गुरुवार को सूर्योदय से शाम 04:16 तक गुरुपुष्यामृत योग है।
‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है | पुष्य आरएफ नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं | ‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य: |’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है | पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है |
इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं | (शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)
नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए
26 अगस्त 2022 शुक्रवार को पीठोरी - दर्श अमावस्या एवं 27 अगस्त, शनिवार को कुशग्राहिणी अमावस्या है ।
घर में हर अमावस अथवा हर 15 दिन में पानी में खड़ा नमक (1 लीटर पानी में 50 ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनेर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।
धन-धान्य व सुख-संम्पदा के लिए
हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें।
सामग्री : 1. काले तिल, 2. जौं, 3. चावल, 4. गाय का घी, 5. चंदन पाउडर, 6. गूगल, 7. गुड़, 8. देशी कर्पूर, गौ चंदन या कण्डा।
विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवनकुंड बना लें, फिर उपरोक्त 8 वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये देवताओं की 1-1 आहुति दें।
आहुति मंत्र
1- ॐ कुल देवताभ्यो नमः
2- ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः
3- ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः
4- ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः
5- ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः
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