विक्रम संवत : 2079
शक संवत : 1944
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा ऋतु
मास - श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)
पक्ष - कृष्ण
तिथि - अमावस्या रात्रि 11:24 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र - पुनर्वसु सुबह 07:04 तक तत्पश्चात पुष्य
योग - वज्र शाम 05:57 तक तत्पश्चात सिद्धि
राहुकाल - दोपहर 02:24 से शाम 04:02 तक
सूर्योदय - 06:11
सूर्यास्त - 19:18
दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
पंचक
पंचक का आरंभ- 12 अगस्त 2022 शुक्रवार 14.49 मिनट से 16 अगस्त 2022, मंगलवार को 21.05 मिनट पर पंचक का समापन
एकादशी
08 अगस्त, 2022 को श्रावण पुत्रदा एकादशी है। श्रावण पुत्रदा एकादशी की तिथि 7 अगस्त को रात में 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू होकर 8 अगस्त को शाम में 9 बजे समाप्त होगी।
-23 अगस्त, 2022 को अजा एकादशी है। अजा एकादशी की तिथि 22 अगस्त को देर रात में 3 बजकर 35 मिनट पर शुरू होकर 23 अगस्त को सुबह में 6 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगी।
प्रदोष
श्रावण शुक्ल त्रयोदशी, भौम प्रदोष व्रत
मंगलवार, 09 अगस्त 2022
09 अगस्त शाम 05:46 बजे - 10 अगस्त दोपहर 02:16 बजे
भाद्रपद, कृष्ण त्रयोदशी, बुद्ध प्रदोष व्रत
बुधवार, 24 अगस्त 2022
24 अगस्त सुबह 08:31 बजे - 25 अगस्त सुबह 10:38 बजे
अमावस्या
भाद्रपद, कृष्ण अमावस्या, शनि अमावस्या
शनिवार, 27 अगस्त 2022
अमावस्या प्रारंभ: 26 अगस्त 2022 दोपहर 12:24 बजे
अमावस्या समाप्त: 27 अगस्त 2022 को दोपहर 01:47 बजे
पूर्णिमा
श्रावणी पूर्णिमा, 12 अगस्त 2022
इस वर्ष श्रावण महीने की पूर्णिमा 12 अगस्त दिन, शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त की सुबह 10 बजकर 40 मिनट से शुरू होकर 12 अगस्त की सुबह 7 बजकर 6 मिनट तक रहेगी।
व्रत पर्व विवरण - दर्श अमावस्या हरियाली अमावस्या, दिवासा- रात्रि जागरण गुरुपुष्यामृत योग (सुबह 07:05 से 29 जुलाई सूर्योदय तक)
विशेष - अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
अमावस्या विशेष
28 जुलाई 2022 गुरुवार को दर्श - हरियाली अमावस्या है।
स्कन्दपुराण के प्रभास खंड के अनुसार
"अमावास्यां नरो यस्तु परान्नमुपभुञ्जते ।। तस्य मासकृतं पुण्क्मन्नदातुः प्रजायते"
जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महिने भर का पुण्य उस अन्न के स्वामी/दाता को मिल जाता है।
गुरुपुष्यामृत योग
28 जुलाई 2022 गुरुवार को सुबह 07:05 से 29 जुलाई सूर्योदय तक गुरुपुष्यामृत योग है।
‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है | पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं | ‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य: |’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है | पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है |
इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं | (शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)
जिनके घर में परिवार मैं रोज और आए दिन मनमुटाव रहता हो या झगड़े होते रहते हो वह लोग अमावस्या के दिन यह उपाय अवश्य करें।
घर में रोज फर्श को साफ करने से पहले उस पानी में या फ्लोर क्लीनर में थोड़ा कपूर पिसी हुई फिटकरी सेंधा नमक और गोमूत्र (पतंजलि आदि किसी का भी ) मिला लें और उससे घर की सफाई रोज करें या अमावस्या के दिन करें सारे ग्रह कलेश शांत हो जाएंगे।
समृद्धि बढ़ाने के लिए
कर्जा हो गया है तो अमावस्या के दूसरे दिन से पूनम तक रोज रात को चन्द्रमा को अर्घ्य दे, समृद्धि बढेगी ।
दीक्षा मे जो मन्त्र मिला है उसका खूब श्रध्दा से जप करना शुरू करें , जो भी समस्या है हल हो जायेगी ।
जिसे कालसर्प दोष हो, उन व्यक्तियों को अमावस्या के दिन किसी अच्छे पंडित से अपने घर में शिवपूजन एवं हवन करवाना चाहिए।
शाम के समय घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में रूई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें। साथ ही दीये में थोड़ी-सी केसर भी डाल दें। यह मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का उपाय है।
अमावस्या
अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है। (विष्णु पुराण)
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