विक्रम संवत : 2079
शक संवत : 1944
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा ऋतु
मास - श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)
पक्ष - कृष्ण
तिथि - चतुर्दशी रात्रि 09:11 तक तत्पश्चात अमावस्या
नक्षत्र - पुनर्वसु पूर्ण रात्रि तक
योग - हर्षण शाम 05:07 तक तत्पश्चात वज्र
राहुकाल - दोपहर 12:46 से 02:26 तक
सूर्योदय - 06:08
सूर्यास्त - 07:24
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण -
विशेष - चतुर्दशी के दिन तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
चतुर्दशी-आर्द्रा नक्षत्र योग : 26 जुलाई शाम 06:48 से 27 जुलाई प्रातः04:09 तक ।
ॐ कार का जप अक्षय फलदायी है ।
पंचक
पंचक का आरंभ- 12 अगस्त 2022 शुक्रवार 14.49 मिनट से 16 अगस्त 2022, मंगलवार को 21.05 मिनट पर पंचक का समापन
एकादशी
08 अगस्त, 2022 को श्रावण पुत्रदा एकादशी है। श्रावण पुत्रदा एकादशी की तिथि 7 अगस्त को रात में 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू होकर 8 अगस्त को शाम में 9 बजे समाप्त होगी।
-23 अगस्त, 2022 को अजा एकादशी है। अजा एकादशी की तिथि 22 अगस्त को देर रात में 3 बजकर 35 मिनट पर शुरू होकर 23 अगस्त को सुबह में 6 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगी।
प्रदोष
श्रावण शुक्ल त्रयोदशी, भौम प्रदोष व्रत
मंगलवार, 09 अगस्त 2022
09 अगस्त शाम 05:46 बजे - 10 अगस्त दोपहर 02:16 बजे
भाद्रपद, कृष्ण त्रयोदशी, बुद्ध प्रदोष व्रत
बुधवार, 24 अगस्त 2022
24 अगस्त सुबह 08:31 बजे - 25 अगस्त सुबह 10:38 बजे
अमावस्या
भाद्रपद, कृष्ण अमावस्या, शनि अमावस्या
शनिवार, 27 अगस्त 2022
अमावस्या प्रारंभ: 26 अगस्त 2022 दोपहर 12:24 बजे
अमावस्या समाप्त: 27 अगस्त 2022 को दोपहर 01:47 बजे
पूर्णिमा
श्रावणी पूर्णिमा, 12 अगस्त 2022
इस वर्ष श्रावण महीने की पूर्णिमा 12 अगस्त दिन, शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त की सुबह 10 बजकर 40 मिनट से शुरू होकर 12 अगस्त की सुबह 7 बजकर 6 मिनट तक रहेगी।
ॐ की 19 शक्तियाँ
कोई मनुष्य दिशाशून्य हो गया हो, लाचारी की हालत में फेंका गया हो, कुटुंबियों ने मुख मोड़ लिया हो, किस्मत रूठ गयी हो, साथियों ने सताना शुरू कर दिया हो, पड़ोसियों ने पुचकार के बदले दुत्कारना शुरू कर दिया हो, चारों तरफ से व्यक्ति दिशाशून्य, सहयोगशून्य, धनशून्य, सत्ताशून्य हो गया हो फिर भी हताश न हो वरन् सुबह-शाम 3 घंटे ॐ सहित भगवन्नाम का जप करे तो वर्ष के अंदर वह व्यक्ति भगवत्शक्ति से सबके द्वारा सम्मानित, सब दिशाओं में सफल और सब गुणों से सम्पन्न होने लगेगा ।
रक्षण शक्ति, गति शक्ति, कांति शक्ति, प्रीति शक्ति, तृप्ति शक्ति, अवगम शक्ति, प्रवेश अवति शक्ति, श्रवण शक्ति, स्वाम्यर्थ शक्ति, याचन शक्ति, क्रिया शक्ति, इच्छित अवति शक्ति, दीप्ति शक्ति, वाप्ति शक्ति, आलिंगन शक्ति, हिंसा शक्ति, दान शक्ति, भोग शक्ति, वृद्धि शक्ति ।
शरीर में कहीं भी तकलीफ हो
भगवान को प्रार्थना करके हाथ की हथेली रगड़ें... ॐ ॐ ॐ... मेरी आरोग्य शक्ति जग रही है फिर जहाँ भी शरीर में तकलीफ हो उधर लगाने से आरोग्य के कण, आरोग्य की शक्ति, सुक्ष्म कण उस रोग को मिटाने की बड़ी मदद करते हैं ।
हाथ रगड़ के ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ जप करके हाथ मुँह पर घुमाने से चेहरा प्रभावशाली हो जाता है ।
आँखों पर घुमाने से आँखों की रोशनी बरकरार होती है, आँखों की ज्योति बढ़ती है ।
माथे पर घुमाएँ, जहाँ चोटी रखते हैं । इससे मस्तक में स्मृति शक्ति, निर्णय शक्ति का विकास होता है, मानसिक तनाव दूर होता है । मानसिक तनाव का मुख्य कारण है मलिन चित्तवृत्तियाँ । भगवान का नाम जपने से मलिन चित्तवृत्तियाँ भाग जाती हैं ।
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