विक्रम संवत : 2079
शक संवत : 1944
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा ऋतु
मास - श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)
पक्ष - कृष्ण
तिथि - प्रतिपदा रात्रि 08:16 तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा रात्रि 08:18 तक तत्पश्चात श्रवण
योग - वैधृति सुबह 08:28 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
राहुकाल - दोपहर 02:26 से 04:07 तक
सूर्योदय - 06:03
सूर्यास्त - 07:28
दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
पंचक
पंचक का आरंभ- 15 जुलाई 2022, शुक्रवार को 28.19 मिनट से
पंचक का समापन- 20 जुलाई 2022, बुधवार को 12.51 मिनट पर।
एकादशी
कामिका एकादशी जुलाई 24, 2022, रविवार
प्रदोष
जुलाई 2022 का दूसरा प्रदोष व्रत 25 जुलाई, सोमवार को किया जाएगा। इस दिन का पूजा मुहूर्त इस प्रकार रहेगा- शाम 07:17 से रात 09:21 तक।
व्रत
विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है ।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
श्रावण मास में वरदानस्वरूप बेलपत्र
(श्रावण मास : 14 जुलाई से 12 अगस्त )
श्रावण मास भगवान शिवजी की पूजा-उपासना के लिए महत्त्वपूर्ण मास है । इन दिनों में शिवजी को बेल के पत्ते चढ़ाने का विधान हमारे शास्त्रों में है । इसके पीछे ऋषियों की बहुत बड़ी दूरदर्शिता है।
इस ऋतु में शरीर में वायु का प्रकोप तथा वातावरण में जल-वायु का प्रदूषण बढ़ जाता है। आकाश बादलों से ढका रहने से जीवनीशक्ति भी मंद पड़ जाती है । इन सबके फलस्वरूप संक्रामक रोग तेज गति से फैलते हैं ।
इन दिनों में शिवजी की पूजा के उद्देश्य से घर में बेल के पत्ते लाने से उसके वायु शुद्धिकारक, पवित्रतावर्धक गुणों का तथा सेवन से वात व अजीर्ण नाशक गुणों का भी लाभ जाने-अनजाने में मिल जाता है ।
उनके सेवन से शरीर में आहार अधिकाधिक रूप में आत्मसात् होने लगता है । मन एकाग्र रहता है, ध्यान केन्द्रित करने में भी सहायता मिलती है।
परीक्षणों से पता चला है कि बेल के पत्तों का सेवन करने से शारीरिक वृद्धि होती है । बेल के पत्तों को उबालकर बनाया गया काढ़ा पिलाने से हृदय मजबूत बनता है ।
औषधि-प्रयोग
1-बेल की पत्तियों के 10-12 ग्राम रस में 1 ग्राम काली मिर्च व 1 ग्राम सेंधा नमक का चूर्ण मिलाकर रोज सुबह-दोपहर-शाम सेवन करने से अजीर्ण में लाभ होता है ।
2-बेलपत्र, धनिया व सौंफ को समान मात्रा में लेकर कूट लें । 10 से 20 ग्राम यह चूर्ण शाम को 100 ग्राम पानी में भिगो दें और सुबह पानी को छानकर पी जायें । इसी प्रकार सुबह भिगोकर शाम को पीयें । इससे स्वप्नदोष कुछ ही दिनों में ठीक हो जायेगा । यह प्रमेह एवं स्त्रियों के प्रदर में भी लाभदायक है।
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