विक्रम संवत : 2079
शक संवत : 1944
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा ऋतु
मास - आषाढ़
पक्ष - शुक्ल
तिथि - पंचमी शाम 06:32 तक तत्पश्चात षष्ठी
नक्षत्र - मघा सुबह 08:44 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
योग - सिद्धि दोपहर 12:22 तक तत्पश्चात व्यतीपात
राहुकाल - सुबह 07:42 से सुबह 09:22 तक
सूर्योदय - 06:02
सूर्यास्त - 19:23
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
पंचक
पंचक का आरंभ- 15 जुलाई 2022, शुक्रवार को 28.19 मिनट से
पंचक का समापन- 20 जुलाई 2022, बुधवार को 12.51 मिनट पर।
एकादशी
देवशयनी एकादशी जुलाई 10, 2022, रविवार
कामिका एकादशी जुलाई 24, 2022, रविवार
प्रदोष
जुलाई 2022 का पहला प्रदोष व्रत 11 जुलाई, सोमवार को किया जाएगा। सोमवार को त्रयोदशी तिथि होने से ये सोम प्रदोष कहलाएगा। इस दिन का पूजा मुहूर्त इस प्रकार रहेगा- शाम 07:22 से रात 09:24 तक।
जुलाई 2022 का दूसरा प्रदोष व्रत 25 जुलाई, सोमवार को किया जाएगा। इस दिन का पूजा मुहूर्त इस प्रकार रहेगा- शाम 07:17 से रात 09:21 तक।
व्रत पर्व विवरण - हेरा- आषाढी- स्कंध पंचमी, श्री द्वारकाधीश पाटोत्सव,
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विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
बारिश की सर्दी मिटाने के लिए
बारिश की सर्दी लगने का अंदाजा हो तो एक लौंग मुंह में रख देना चाहिये और घर जाकर मत्था जल्दी पोंछ लेना चाहिये । बदन सूखा कर लेना चाहिये और बांये करवट थोड़ा लेट के दायाँ श्वास चालू रखना चाहिये । इससे बारिश में भीगने का असर नहीं होगा ।
व्यतिपात योग
व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका 1 लाख गुना फल मिलता है।
व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुऐ नाराज हुऐ, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नही दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको चन्द्र भूल रहा है। सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसु बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।
विशेष - 04 जुलाई 2022 सोमवार को दोपहर 12:23 से 05 जुलाई, मंगलवार को दोपहर 12:16 तक व्यतीपात योग है।
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