Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (25 जून 2022)

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दिनांक : 25 जून, दिन : शनिवार 


विक्रम संवत : 2079


शक संवत : 1944


अयन - दक्षिणायन


ऋतु - वर्षा ऋतु


मास - आषाढ़


पक्ष - कृष्ण


तिथि - द्वादशी 26 जून रात्रि 01:09 तक तत्पश्चात त्रयोदशी


नक्षत्र - भरणी सुबह 10:24 तक तत्पश्चात कृत्तिका


योग - धृति 26 जून प्रातः 05:55 तक तत्पश्चात शूल


राहुकाल -  सुबह 09:20 से सुबह 11:01 तक


सूर्योदय - 06:00


सूर्यास्त - 19:22


दिशाशूल - पूर्व  दिशा में


अमावस्या


आषाढ़ अमावस्या बुधवार 29 जून, 2022।


प्रदोष


26 जून, रविवार- रवि प्रदोष व्रत.

पूजा मुहूर्त- शाम 07:23 बजे से रात 09:23 बजे तक


व्रत पर्व विवरण - 

विशेष - द्वादशी 

स्कंद पुराण के अनुसार द्वादशी के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।

ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।' (ब्रह्म पुराण')

शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय।' का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण')

हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)


नौकरी - व्यवसाय में सफलता, आर्थिक समृद्धि एवं कर्ज मुक्ति हेतु कारगर प्रयोग शनिवार के दिन पीपल में दूध, गुड, पानी मिलाकर चढायें एवं प्रार्थना करें - 'हे प्रभु ! आपने गीता में कहा है कि वृक्षों में पीपल मैं  हूँ । हे भगवान ! मेरे जीवन में यह परेशानी है । आप कृपा करके मेरी यह परेशानी (परेशानी, दुःख का नाम लेकर ) दूर करने की कृपा करें । पीपल का स्पर्श करें व प्रदक्षिणा करें ।

       

पति की आयु लम्बी हो इसलिए 2 बातें


शाम को सूरज जब अस्त होता है तो उस समय सुहागन देवियों को अपना सिर ढ़क के रखना चाहिए ।

सुहागन देवियों को ज्यादा उपवास नहीं करने चाहिए ।


प्रदोष व्रत


हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महिने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस बार 26 जून, रविवार को प्रदोष व्रत है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। प्रदोष पर व्रत व पूजा कैसे करें और इस दिन क्या उपाय करने से आपका भाग्योदय हो सकता है।


 व्रत व पूजा


- प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं।

- इसके बाद बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।

- पूरे दिन निराहार (संभव न हो तो एक समय फलाहार) कर सकते हैं) रहें और शाम को दुबारा इसी तरह से शिव परिवार की पूजा करें।

- भगवान शिवजी को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं।

- भगवान शिवजी  की आरती करें। भगवान को प्रसाद चढ़ाएं और उसीसे अपना व्रत भी तोड़ें।उस दिन  ब्रह्मचर्य का पालन करें।

 

उपाय 


सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद तांबे के लोटे से सूर्यदेव को अर्ध्य देें। पानी में आकड़े के फूल जरूर मिलाएं। आंकड़े के फूल भगवान शिवजी  को विशेष प्रिय हैं । ये उपाय करने से सूर्यदेव सहित भगवान शिवजी  की कृपा भी बनी रहती है और भाग्योदय भी हो सकता है।


दान करने से मिलती है मोह से मुक्ति, होते हैं कष्ट दूर


हर धर्म में दान का खासा महत्व माना गया है। दान देने से जहां मोह से मुक्ति मिलती है वहीं जीवन के दोष भी दूर होते हैं।


दान देने से कट जाते हैं कई दोष


अन्नदान, वस्त्रदान, विद्यादान, अभयदान और धनदान, ये सारे दान इंसान को पुण्य का भागी बनाते हैं। किसी भी वस्तु का दान करने से मन को सांसारिक आसक्ति यानी मोह से छुटकारा मिलता है। हर तरह के लगाव और भाव को छोड़ने की शुरुआत दान और क्षमा से ही होती है।


श्रीरामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है कि परहित के समान कोई धर्म नहीं है और दूसरों को कष्ट देने के समान कोई पाप नहीं है।


दान का महत्व


दान एक ऐसा कार्य है, जिसके जरिए हम न केवल धर्म का ठीक-ठीक पालन कर पाते हैं बल्कि अपने जीवन की तमाम समस्याओं से भी निकल सकते हैं। आयु, रक्षा और सेहत के लिए तो दान को अचूक माना जाता है। जीवन की तमाम समस्याओं से निजात पाने के लिए भी दान का विशेष महत्व है। दान करने से ग्रहों की पीड़ा से भी मुक्ति पाना आसान हो जाता है।


अलग -अलग वस्तुओं के दान से अलग-अलग समस्याएं दूर होती हैं, लेकिन बिना सोचे-समझे गलत दान से आपका नुकसान भी हो सकता है। कई बार गलत दान से अच्छे ग्रह भी बुरे परिणाम दे सकते हैं। ज्योतिष के जानकारों की मानें तो वेदों में भी लिखा है कि सैकड़ों हाथों से कमाना चाहिए और हजार हाथों वाला होकर दान करना चाहिए।


अलग-अलग वस्तुओं के दान से कैसे संवरता है जीवन और कौन-सी चीजों का दान करना आपके लिए सबसे उत्तम होगा -


अनाज का दान


- अनाज का दान करने से जीवन में अन्न का अभाव नहीं होता

- अनाज का दान बिना पकाए हुए करें तो ज्यादा अच्छा होगा


धातुओं का दान


धातुओं का दान विशेष दशाओं में ही करें

- यह दान उसी व्यक्ति को करें जो दान की गई चीज का प्रयोग करें

- धातुओं का दान करने से आई हुई विपत्ति टल जाती है


वस्त्रों का दान


- वस्त्रों का दान करने से आर्थिक स्थिति हमेशा उत्तम रहती है

- उसी स्तर के कपड़ों का दान करें, जिस स्तर के कपड़े आप पहनते हैं

- फटे पुराने या खराब वस्त्रों का दान कभी भी न करें


ज्योतिष के जानकारों की मानें तो जिस इंसान को दान करने में आनंद मिलता है, उसे ईश्वर की असीम कृपा प्राप्त होती है क्योंकि देना इंसान को श्रेष्ठ और सत्कर्मी बनाता है। अगर आप भी अपने भीतर की सच्ची खुशी को महसूस करना चाहते हैं तो जरूरतमंदों को दान करिए। इससे आपको अद्भुत आत्मसुख मिलेगा।


किस राशि के व्यक्ति को कौन-से दान से हो सकता है नुकसान


- मेष: सूर्य का दान न करें, मीठी चीज़ों के दान से बचें

- वृष: शनि का दान न करें, लोहा दान न करें

- मिथुन: शुक्र का दान न करें, हरी चीज़ों के दान से बचें

- कर्क: चन्द्रमा का दान न करें, सोने के दान से बचें

- सिंह: मंगल का दान न करें, भूमि या मिट्टी की चीजों के दान से बचें

- कन्या: बुध का दान न करें, दूध के दान से बचें

- तुला: शनि का और काली चीजों का दान कभी ना करें

- वृश्चिक: मंगल का और पीली चीजों का दान न करें

- धनु: सूर्य का और मीठी चीजों का दान कभी न करें

- मकर: शुक्र का और तेल का दान न करें

- कुंभ: शनि का और हरी चीजों का दान कभी न करें

- मीन: मंगल का और लाल चीजों का दान न करें

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