Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (19 जून 2022)

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दिनांक : 19 जून, दिन : रविवार 


विक्रम संवत : 2079


शक संवत : 1944


अयन : उत्तरायण।


ऋतु : ग्रीष्म ऋतु


मास - आषाढ़


पक्ष - कृष्ण


तिथि - षष्ठी रात्रि 10:18 तक तत्पश्चात सप्तमी


नक्षत्र - शतभिषा 20 जून प्रातः 04:53 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद


योग - विष्कम्भ रात्रि 10:52 तक  तत्पश्चात प्रीति


राहुकाल - शाम 05:42 से शाम 07:23 तक


सूर्योदय - 05:58


सूर्यास्त - 19:21


दिशाशूल -  पश्चिम  दिशा में


पंचक


पंचक का आरंभ- 18 जून 2022, शनिवार को 18.44 मिनट से

पंचक का समापन- 23 जून 2022, गुरुवार को 06.01 मिनट पर। 


एकादशी


 शुक्रवार, 24 जून 2022- योगिनी एकादशी


अमावस्या


आषाढ़ अमावस्या बुधवार 29 जून, 2022।


प्रदोष


26 जून, रविवार- रवि प्रदोष व्रत.

पूजा मुहूर्त- शाम 07:23 बजे से रात 09:23 बजे तक


व्रत पर्व विवरण -  


विशेष - षष्ठी 


रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।


स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।


मन्दिर में light कैसी हो


शिव मन्दिर में लप- झप कराने वाली light है तो शिव दर्शन से दूर करती है। लप-झप करानेवाली lights मन्दिर में, पूजा के जगह पर रखना नुकसान का काम है, फायदा नहीं चंचलता बढ़ेगी।


समस्त रोगनाशक उपाय


स्वास्थ्यप्राप्ति हेतु सिर पर हाथ रख के या संकल्प कर इस मंत्र का 108 बार उच्चारण करें।


अच्युतानन्तगोविन्दनामोच्चारणभेषजात् |

नश्यन्ति सकला रोगा: सत्यं सत्यं वदाम्यहम् ||*     


‘हे अच्च्युत ! हे अनंत ! हे गोविंद ! – इस नामोच्चारणरूप औषध से समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं, यह मैं सत्य कहता हूँ ...सत्य कहता हूँ |’


स्नान


गो-झरण से स्नान कराने से रोग नष्ट होंगे, पाप नष्ट होंगे,स्नान में, गो-झरण डालें।पंचगव्य से स्नान करने से पापनाशिनी उर्जा मिलती है ।


शिवजी पर क्यों नहीं चढ़ाई जाती है तुलसी:


एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक असुर था जिसका नाम जलंधर था। इसकी पत्नी का नाम वृन्दा था। जलंधर राक्षस से हर कोई त्रस्त था। लेकिन कोई भी उसकी हत्या नहीं कर पा रहा था। ऐसा इसलिए क्योंकि उसकी पत्नी वृन्दा बेहद पतिव्रता थी और उसके तप से कोई भी राक्षस का वध नहीं कर पा रहा था। एक दिन भगवान विष्णु ने जलंधर का रुप धारण किया और भगवान शिव ने जालंधर का वध कर दिया। वृंदा की पतिव्रता धर्म को तोड़ दिया


जब वृन्दा को यह बात पता चली तो उसने खुद को आग के हवाले कर दिया। जहां पर वृन्दा ने आत्मदाह किया था वहीं से तुलसी का पौधा उग गया था। ऐसे में वृन्दा ने शिव की पूजा में तुलसी को शामिल न करने का शाप दिया था।


ये चीजें भी नहीं होती हैं पूजा में शामिल:


तुलसी के अलावा शंख, नारियल का पानी, हल्दी, रोली को भी शिव पूजा में शामिल नहीं किया जाता है। इसके अलावा शिवजी को कनेर, कमल, लाल रंग के फूल, केतकी और केवड़े के फूल भी नहीं चढ़ाए जाते हैं।  

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