नया शोध : पति और पत्नी के रिश्ते खराब कर रही डायबिटीज

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- जीएसवीएम मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग में दो साल से चल रहा रिसर्च
- लंबे समय से मधुमेह की वजह से नसें कमजोर, शरीर में खून की आपूर्ति पर असर

प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर 

हम आप अभी तक यही जानते थे कि डायबिटीज (मधुमेह) किडनी, हार्ट, हाथ-पैर और आंखाें की नसों को ही प्रभावित करती है। डायबिटीज की वजह से पति और पत्नी के रिश्ते भी खराब होने लगे हैं। यह जानकर थोड़ा अटपटा जरूर लगेगा, लेकिन जीएसवीएम मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग में चल रहे शोध में अहम तथ्य सामने आए हैं। इस रिसर्च को अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में प्रकाशन के लिए भेजा है।

अगर पति और पत्नी के बीच बेवजह तकरार होती रहे। उन्हें कुछ समझ में भी नहीं आए। फिर भी दोनों बिना वजह के चिड़चिड़े होते जाएं। जब पति और पत्नी के बीच समस्या बढ़ने लगती है तो महिलाएं और पुरुष मनोरोग विशेषज्ञों के पास पहुंचने लगे।

उनका पूरा परीक्षण और काउंसलिंग करने के बाद भी जब कुछ समझ में नहीं आया तो उन्होंने ऐसे दंपती को फिजीशियन के पास इलाज के लिए भेज दिया। जब ऐसे दंपती के खून के नमूने की संपूर्ण जांच कराई। ऐसे में उनकी मधुमेह अनियंत्रित पाई गई, जबकि उन्हें इसका पता ही नहीं था।

दांपत्य जीवन ठीक से न चलने की शिकायत लेकर सामने आने वाली महिला एवं पुरुषों की समस्या को देखते हुए मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा. सौरभ अग्रवाल ने मधुमेह (डायबिटीज) का दांपत्य जीवन में प्रभाव यानी इरेक्टाइल डिसफंक्शन (नपुंसकता) पर वर्ष 2021 में रिसर्च शुरू किया। उन्होंने स्क्रीनिंग के उपरांत 120 लोगों को शामिल किया है।


एलएलआर अस्पताल की मधुमेह ओपीडी में आए

एलएलआर अस्पताल (हैलट) के ओपीडी ब्लाक में मेडिसिन विभाग की स्पेशल मधुमेह ओपीडी में आए अनियंत्रित मधुमेह पीड़ित ही रिसर्च में शामिल किए गए। जिनके ब्लड में शुगर का स्तर लंबे समय से 500 से 600 से ऊपर रह रहा था। साथ ही उनके तीन माह का ब्लड शुगर का स्तर एचबीएवनसी  में 9 से ऊपर रह रहा था। 

विशेषज्ञ का कहना है कि लंबे समय से मधुमेह होने के बाद भी उन्हें पता ही नहीं था। डायबिटीज की वजह से खून की आपूर्ति करने वाली नसें कमजोर हो गईं थीं, जिससे शरीर का रक्त संचार कम होने से शारीरिक क्षमता पर असर पड़ा, जिससे उनके आपसी संबंध भी प्रभावित होने लगे।

पहले झिझके, फिर खुलकर बोले

ओपीडी में इलाज के लिए आए दंपती में आपसी तकरार की कोई वजह ही नहीं मिलने पर उनके खून की जांच कराई गई। जब अनियंत्रित मधुमेह का पता चला तो उनसे आपसी संबंधों पर भी बात की गई, लेकिन वह पहले झिझकते रहे। जब उन्हें विस्तार से समस्या बताई गई तो वह खुल कर बात करने लगे। उन्होंने अपनी समस्या भी खुलकर बताई, जिससे रिसर्च में मदद मिली। समस्या के निराकरण के दिशा में प्रयास चल रहे हैं।  

कोई समस्या नहीं

- दंपती में हार्मोन्स का स्तर सामान्य पाया गया।
- डिप्रेशन-तनाव जैसी शिकायत भी नहीं मिली।
- पहले से किसी अन्य बीमारी से नहीं थे पीड़ित।
- कोई दूसरी शारीरिक कमजोरी भी नहीं मिली।


लंबे समय से मधुमेह के पीड़ितों पर दो साल से रिसर्च चल रही है। उसमें मधुमेह की वजह से इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या होने का पता चला है। इस समस्या के इलाज के पर काम कर रहे हैं। अति गंभीर 40 मधुमेह पीड़ित का अपनी निगरानी में इलाज कर रहे हैं, जिसमें उन्हें फायदा भी हुआ है। इस रिसर्च का उद्देश्य समस्या का पता लगाकर इलाज का निष्कर्ष निकालाना है।    

- डा. सौरभ अग्रवाल, प्रोफेसर एवं चीफ गाइड, मेडिसिन विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।


एक नजर

वर्ष 2021 से इरेक्टाइल डिसफंक्शन पर रिसर्च।
02 वर्ष तक चलेगा अध्ययन, निकलेगा निष्कर्ष।  
120 मरीजों को रिसर्च में किया गया है शामिल।
40 गंभीर मरीजों का अभी भी चल रहा इलाज।

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