नशा निवारक :
शराबी प्राय: नशे की झोंक में इतनी शराब पी जाता है की उसका यकृत नष्ट होकर मृत्यु का कारण बन सकता है | इस स्थिति में ताजे पानी में खजूर को अच्छी तरह मसलते हुए शरबत बनायें | यह शरबत पीने से शराब का विषैला प्रभाव नष्ट होने लगता है।
स्फूर्तिदायक पेय
2 चम्मच मेथीदाना 200 मि.ली. पानी में रात को भिगोकर रखें। सुबह धीमी आँच पर चौथाई पानी शेष रहने तक उबालें। छानकर गुनगुना रहने पर 2 चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर पियें। दिन भर शक्ति व स्फूर्ति बनी रहेगी।
इलायची
इलायची औषधीय रूप से अति महत्त्वपूर्ण है | यह दो प्रकार की होती है – छोटी व बड़ी |
छोटी इलायची : यह सुंगधित, जठराग्निवर्धक, शीतल, मूत्रल, वातहर, उत्तेजक व पाचक होती है | इसका प्रयोग खाँसी, अजीर्ण, अतिसार, बवासीर, पेटदर्द, श्वास ( दमा ) तथा दाहयुक्त तकलीफों में किया जाता है |
औषधीय प्रयोग
- अधिक केले खाने से हुई बदहजमी एक इलायची खाने से दूर हो जाती है |
- धूप में जाते समय तथा यात्रा में जी मचलाने पर एक इलायची मुँह में डाल दें |
- 1 कप पानी में 1 ग्राम इलायची चूर्ण डालके 5 मिनट तक उबालें | इसे छानकर एक चम्मच शक्कर मिलायें | 2-2 चम्मच यह पानी 2-2 घंटे के अंतर लेने से जी – मचलाना, उबकाई आना, उल्टी आदि में लाभ होता है |
- छिलके सहित छोटी इलायची तथा मिश्री समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनालें | चुटकीभर चूर्ण को 1-1 घंटे के अंतर से चूसने से सूखी खाँसी में लाभ होता है | कफ पिघलकर निकल जाता है |
- रात को भिगोये 2 बादाम सुबह छिलके उतारकर घिसलें | इसमें 1 ग्राम इलायची चूर्ण, आधा ग्राम जावित्री चूर्ण, 1 चम्मच मक्खन तथा आधा चम्मच मिश्री मिलाकर खाली पेट खाने से वीर्य पुष्ट व गाढ़ा होता है |
- आधा से 1 ग्राम इलायची चूर्ण का आँवले के रस या चूर्ण के साथ सेवन करने से पेशाब और हाथ-पैरों की जलन दूर होती है |
- आधा ग्राम इलायची दाने का चूर्ण और 1-2 ग्राम पीपरामूल चूर्ण को घी के साथ रोज सुबह चाटने से ह्रदयरोग में लाभ होता है |
- छिलके सहित 1 इलायची को आग में जलाकर राख कर लें | इस राख को शहद मिलाकर चाटने से उलटी में लाभ होता है |
- 1 ग्राम इलायची दाने का चूर्ण दूध के साथ लेने से पेशाब खुलकर आती है एवं मूत्रमार्ग की जलन शांत होती है |
सावधानी : रात को इलायची न खायें, इससे खट्टी डकारें आती है | इसके अधिक सेवन से गर्भपात होने की भी सम्भावना रहती है |
ह्रदय रोग की सरल व अनुभूत चिकित्सा
1 कटोरी लौकी के रस में पुदीने व तुलसी के 7-8 पत्तों का रस, 2-4 काली मिर्च का चूर्ण व 1 चुटकी सेंधा नमक मिलाकर पियें l इससे ह्रदय को बल मिलता है और पेट की गड़बडियां भी दूर हो जाती हैं l
नींबू का रस, लहसुन का रस, अदरक का रस व सेवफल का सिरका समभाग मिलाकर धीमी आंच पर उबालें l एक चौथाई शेष रहने पर नीचे उतारकर ठंडा कर लें l तीन गुना शहद मिलाकर कांच की शीशी में भरकर रखें l प्रतिदिन सुबह खाली पेट २ चम्मच लें l इससे Blockage खुलने में मदद मिलेगी l
अगर सेवफल का सिरका न मिले तो पान का रस, लहसुन का रस, अदरक का रस व शहद प्रत्येक १-१ चम्मच मिलाकर लें l इससे भी रक्तवाहिनियाँ साफ़ हो जाती हैं l लहसुन गरम पड़ता हो तो रात को खट्टी छाछ में भिगोकर रखें l
उड़द का आटा, मक्खन, अरंडी का तेल व शुद्ध गूगल समभाग मिलाके रगड़कर मिश्रण बनालें l सुबह स्नान के बाद ह्रदय स्थान पर इसका लेप करें l 2 घंटे बाद गरम पानी से धो दें l इससे रक्तवाहिनियों में रक्त का संचारण सुचारू रूप से होने लगता है l
1 ग्राम दालचीनी चूर्ण एक कटोरी दूध में उबालकर पियें l दालचीनी गरम पड़ती हो तो 1 ग्राम यष्टिमधु चूर्ण मिला दें l इससे कोलेस्ट्रोल के अतिरिक्त मात्रा घट जाती है l
भोजन में लहसुन, किशमिश, पुदीना व हरा धनिया की चटनी लें l आवलें का चूर्ण, रस, चटनी, मुरब्बा आदि किसी भी रूप में नियमित सेवन करें l
औषधि कल्पों में स्वर्ण मालती , जवाहरमोहरा पिष्टि, साबरशृंग भस्म, अर्जुन छाल का चूर्ण, दशमूल क्वाथ आदि हृदय रोगों का निर्मूलन करने में सक्षम है l
शक्तिवर्धक खीर :
3 चम्मच गेहूँ का दलिया व 2 चम्मच खसखस रात को पानी में भिगो दें | प्रात: इसमें दूध और मिश्री डालकर पकायें | आवश्यकता अनुसार मात्रा घटा-बढ़ा सकते हैं | यह खीर शक्तिवर्धक है |
हड्डी जोडनेवाला हलवा :
गेहूँ के आटे में गुड व 5 ग्राम बला चूर्ण डाल कर बनाया गया हलवा (शीरा) खाने से टूटी हुई हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है | दर्द में भी आराम होता है |
सब प्रकार के उदर-रोगों में मट्ठे और देशी गाय के मूत्र का सेवन अति लाभदायक है | (गोमूत्र न मिल पाये तो गोझरण अर्क का उपयोग कर सकते हैं |
नारियल के पानी से वायु होता हो तो
नारियल का पानी गुनगुना करके पियो, उसमे जरा-सा नमक, जरा-सा एक कालीमिर्च का पाऊडर मिलाके लें | वो नारियल का वायु काट देगा।
कैन्सर में
2- 20 ग्राम तुलसी का रस , 50 ग्राम ताजा दही के साथ कुछ दिन सुबह - शाम लेने से कैन्सर में आराम होता है ।
वात और पित्त सम्बन्धी बीमारियों में
3 नीम के पत्ते, 2 बेल के पत्ते और 2 काली मिर्च, अच्छी तरह से पीसें और 1 कप (70-80 ml) पानी में घोल के सुबह शाम पिया करें,तो वात और पित्त सम्बन्धी बीमारियाँ मिटेंगी और भूख भी अच्छी लगे।
काले तिल
अष्टांग संग्रहकर श्री वाग्भट्टाचार्यजी के अनुसार 15 से 25 ग्राम काले तिल सुबह चबा-चबाकर खाने व ऊपर से शीतल जलपीने से सम्पूर्ण शरीर–विशेषत: हड्डियाँ, दांत, संधियाँ व बाल मजबूत बनते हैं |
पेट सम्बन्धी तकलीफों में
नींबू के रस में सौंफ भिगो दें और जितना नींबू का रस,उतना ही सौंफ भी ले l फिर सौंफ में थोड़ा काला नमक या संत कृपा चूर्ण मिलाकर तवे में सेंक कर रख दो l ये लेने से पेट का भारीपन, बदहाजमी दूर होगी और भूख खुलकर लगेगी l कब्ज़ की तकलीफ भी ठीक हो जायेगी l
कफ़ रोग का इलाज
50 ग्राम शहद (honey), 50 ग्राम लहसुन (garlic), 1 ग्राम तुलसी के बीज पीस कर उसमें डाल दो, चटनी बन गयी थोड़ा-थोड़ा बच्चे को चटाओ हृदय भी मजबूत हो जायेगा, कफ़ भी नाश हो जायेगा ।
अनिद्रा के रोग में
3 ग्राम तरबूज के सफ़ेद बीज पीसके उसमें 3 ग्राम खसखस पीस के सुबह अथवा शाम को १ हफ्ते तक |
बुढ़ापे में झुर्रियों से बचने हेतु
बड़ी उम्रवालों को सूखा नारियल चबाके खाना चाहिये तो झुर्रियां नहीं पड़ेगी | नारंगी खाना चाहिये तो झुर्रियां नहीं पड़ेगी |
ब्लोकेज हो तो
अदरक का कद्दुकस और गुड़ का कद्दुकस सुबह-सुबह थोड़ा खाएं।श्वास बाहर रख के भगवान का नाम जपें,ब्लोकेज खुल जायेगा | नींबू और 25 तुलसी के पत्तों का रस कभी-कभी लें,इससे भी आराम होता है |
घमौरियों हों तो
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नीम के 10 ग्राम फूल व थोड़ी मिश्री पीसकर पानी में मिला के खाली पेट पी लें | इससे घमौरियाँ शीघ्र गायब हो जायेंगी |
नारियल तेल में नींबू-रस मिलाकर लगाने से घमौरियाँ गायब हो जाती हैं ।
मुलतानी मिट्टी लगा के कुछ मिनट बाद स्नान करने से गर्मी और घमौरियों का शमन होता है |
ह्रदय रोग
ह्रदय रोग में 2 चम्मच शहद, 1 चम्मच नींबू का रस पीने से तुरंत ह्रदय रोग में आराम होता है l अथवा अदरक के रस में समान मात्रा में पानी मिलाकर पियें |
ह्रदय में पीड़ा हो, हार्ट अटैक का भय हो तो तुलसी के 8-10 पत्ते,2-3 काली मिर्च चबा के पानी पी लें, जादूई असर होगा |
10-20 तुलसी के पत्तों का रस गर्म करके, गुनगुने पानी में पियें और तुलसी के पत्तों को पीस कर उसका ह्रदय पर लेप करें |
आँखे जलना, मधुमेह, अनिद्रा,बच्चों को कद बढ़ाना
बेलपत्ते सुखा के पाउडर बना लो और उसमे सम भाग सौंफ व धनिया पाउडर मिला दो l 10 ग्राम रात को पानी में भिगा दो व सुबह घोंट के पी लो l जिन बच्चों को कद बढ़ाना हो, वे इसमें 1 काली मिर्च पीस के डालें l इससे आँखे जलना, मधुमेह, अनिद्रा आदि में आराम होगा l
मोसंबी का रस
यह बल व रक्त वर्धक, शक्तिदायक एवं रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ानेवाला है | बीमार लोगों के लिए मोसंबी अमृत के समान है |
शरीर थकने व मन के ऊब जाने पर मोसंबी अथवा इसके रस का सेवन करें तो थकान,बेचैनी दूर होकर स्फूर्ति व प्रसन्नता बढ़ती है | मोसंबी का रस यकृत, आँतों तथा पाचनतंत्र को शुद्ध करके उन्हें सतेज बनाता है |
मोसंबी चूसने से दाँतों की सफाई होती है व भोजन सरलता से पचता है | सर्दी - जुकामवालों को मोसंबी का रस हलका गर्म करके उसमें 2-4 बूँद अदरक के रस की डालकर पीना चाहिए |
गर्मियों में बलप्रद व स्वास्थ्यवर्धक आम
पका आम बहुत ही पौष्टिक होता है | इसमें प्रोटीन,विटामिन व खनिज पदार्थ, कार्बोहाइड्रेट तथा शर्करा विपुल मात्रा में होते हैं |
आम मीठा, चिकना, शौच साफ़ लानेवाला, तृप्तिदायक, ह्रदय को बलप्रद, वीर्य की शुद्धि तथा वृद्धि करनेवाला है | यह वायु व पित्त नाशक परंतु कफकारक है तथा कांतिवर्धक, रक्त की शुद्धि करनेवाला एवं भूख बढ़ानेवाला है | इसके नियमित सेवन से रोगप्रतिकारक शक्ति बढती है |
शुक्रप्रमेह आदि विकारों के कारण जिनको संतानोत्पत्ति न होती हो, उनके लिए पका आम लाभकारक है | कलमी आम की अपेक्षा देशी आम जल्दी पचनेवाला, त्रिदोषशामक व विशेष गुणयुक्त है | रेशासहित, मीठा, पतली या छोटी गुठलीवाला आम उत्तम माना जाता है | यह आमाशय, यकृत, फेफड़ों के रोग तथा अल्सर, रक्ताल्पता आदि में लाभ पहुँचाता है | इसके सेवन से रक्त,मांस आदि सप्तधातुओं तथा वासा की वृद्धि और हड्डियों का पोषण होता है | यूनानी डॉक्टरों के मतानुसार पका आम आलस्य दूर करता है, मूत्र साफ़ लाता है, क्षयरोग (टी.बी.)मिटाता है तथा गुर्दें व मूत्राशय के लिए शक्तिदायक है |
औषधि-प्रयोग
भूखवृद्धि : आम के रस में घी और सौंठ डालकर सेवन करने से जठराग्नि प्रदीप्त होता है | वायु रोग या पाचनतंत्र की दुर्बलता : आम के रस में अदरक मिलाकर लेना हितकारी है |
शहद के साथ पके आम के सेवन से प्लीहा, वायु और कफ के दोष तथा क्षयरोग दूर होता है |
आम का पना : केरी (कच्चा आम ) को पानी में उबालें अथवा गोबर के कंडे की आग में दबा दें | भुन जाने पर छिलका उतार दें और गूदा मथकर उसमें गुड, जीरा, धनिया, काली मिर्च तथा नमक मिलाकर दोबारा मथें | आवश्यकता अनुसार पानी मिलायें और पियें |
लू लगने पर : उपरोक्त आम का पना एक-एक कप दिन में 2-3 बार पियें |
भुने हुए कच्चे आम के गूदेको पैरों के तलवों पर लगाने से भी लू से राहत मिलती है |
वजन बढ़ाने के लिए : पके और मीठे आम नियमित रूप से खाने से दुबले - पतले व्यक्ति का वजन बढ़ सकता है |
दस्त में रक्त आने पर : छाछ में आम की गुठली का 2 से 3 ग्राम चूर्ण मिलाकर पीने से लाभ होता है |
पेट के कीड़े : सुबह चौथाई चम्मच आम की गुठलियों का चूर्ण गर्म पानी के साथ लेने से पेट के कीड़े मर जाते है |
प्रदर रोग : आम की गुठली का 2 से 3 ग्राम चूर्ण शहद के साथ चाटने से रक्त-प्रदर में लाभ होता है |
दाँतों के रोग : आम के पत्तों को खूब चबा-चबाकर थूकते रहने से कुछ ही दोनों में दाँतों का हिलना और मसूड़ों से खून आना बंद हो जाता है | आम की गुठली की गिरी के महीन चूर्ण का मंजन करने से पायरिया ठीक होता है |
घमौरियाँ : आम की गुठली के चूर्ण से स्नान करने से घमौरियाँ दूर होती है |
पुष्ट और सुडौल शरीर : यदि एक वक्त के आहार में सुबह या शाम केवल आम चूसकर जरा-सा अदरक लें तथा डेढ -दो घंटे के बाद दूध पियें तो ४० दिन में शरीर पुष्ट व सुडौल हो जाता | आम और दूध एक साथ खाना आयुर्वेद की दृष्टि से विरुद्ध आहार है | इससे आगे चलकर चमड़ी के रोग होते हैं |
सावधानी : खाने के पहले आम को पानी में रखना चाहिए | इससे उसकी गर्मी निकल जाती है | भूखे पेट आम नहीं खाना चाहिए | अधिक आम खाने से गैस बनती है और पेट के विकार पैदा होते हैं | कच्चा, खट्टा तथा अति पका हुआ आम खाने से लाभ के बजाय हानि हो सकती है | कच्चे आम के सीधे सेवन से कब्ज व मंदाग्नि हो सकती है |
बाजार में बिकनेवाला डिब्बाबंद आम का रस स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं होता है | लम्बे समय तक रखा हुआ बासी रस वायुकारक, पचने में भारी होता है।
तुलसी के बीज का चमत्कार
तुलसी के बीज पीसकर रखो । एक चुटकी बीज रात को भिगा दो । सुबह खा लो।
- इससे पेट की तकलीफ़ भागेगी|
- यादशक्ति बढेगी ।
- बुढ़ापे की कमजोरी से बचोगे ।
- heart attack नहीं होगा ।
- High Blood Pressure भी नहीं होगा ।
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