दिनांक : 09 अप्रैल, दिन : शनिवार
विक्रम संवत : 2079
शक संवत : 1944
अयन : उत्तरायण
ऋतु : वसंत ऋतु
पक्ष : शुक्ल
तिथि : अष्टमी 10 अप्रैल रात्रि 01:23 बजे तक तत्पश्चात नवमी
नक्षत्र : पुनर्वसु 10 अप्रैल प्रातः 04:31 बजे तक तत्पश्चात पुष्य
योग : अतिगण्ड सुबह 11:25 बजे तक तत्पश्चात सुकर्मा
राहुकाल ; सुबह 09:33 बजे से सुबह 11:07 बजे तक
सूर्योदय : प्रातः 06:26 बजे
सूर्यास्त : संध्या 18:54 बजे
दिशाशूल : पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण
दुर्गाष्टमी, अशोकाष्टमी, भवानी प्राकट्य
विशेष : अष्टमी
ज्योतिष शास्त्र
10 अप्रैल, रविवार को श्रीराम नवमी का पर्व है। त्रेता युग में इसी दिन भगवान श्री रामजी का जन्म हुआ था। इसलिए भारत सहित अन्य देशों में भी हिंदू धर्म को मानने वाले इस पर्व को बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से हर इच्छा पूरी हो सकती है।
श्रीराम नवमी की सुबह किसी राम मंदिर में जाकर राम रक्षा स्त्रोत का 11 बार पाठ करें। हर समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
दक्षिणावर्ती शंख में दूध व केसर डालकर श्रीरामजी की मूर्ति का अभिषेक करें। इससे धन लाभ हो सकता है।
इस दिन बंदरों को चना, केले व अन्य फल खिलाएं। इससे आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
श्रीराम नवमी की शाम को तुलसी के सामने गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इससे घर में सुख-शांति रहेगी।
इस दिन भगवान श्रीरामजी को विभिन्न अनाजों का भोग लगाएँ और बाद में इसे गरीबों में बांट दें। इससे घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी।
इस दिन भगवान श्रीरामजी के साथ माता सीता की भी पूजा करें। इससे दांपत्य जीवन सुखी रहता है।
भगवान श्रीरामजी के मंदिर के शिखर पर ध्वजा यानी झंडा लगवाएं। इससे आपको मान-सम्मान व प्रसिद्धि मिलेगी।
चैत्र नवरात्रि
नवरात्रि की अष्टमी यानी आठवें दिन माता दुर्गा को नारियल का भोग लगाएं। इससे घर में सुख समृद्धि आती है।
मां महागौरी की पूजा से मिलती मन की शांति
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। मां महागौरी का रंग अत्यंत गोरा है, इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि का आठवां दिन हमारे शरीर का सोम चक्रजागृत करने का दिन है। सोमचक्र ललाट में स्थित होता है। श्री महागौरी की आराधना से सोमचक्र जागृत हो जाता है और इस चक्र से संबंधित सभी शक्तियां श्रद्धालु को प्राप्त हो जाती है। मां महागौरी के प्रसन्न होने पर भक्तों को सभी सुख स्वत: ही प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही, इनकी भक्ति से हमें मन की शांति भी मिलती है।
पुष्य नक्षत्र योग
10 अप्रैल 2022 रविवार को सूर्योदय से 11 अप्रैल सूर्योदय तक रविपुष्यमृत योग है। 108 मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो 27 नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु ब्रहस्पति। पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ाने वाला है। उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिए। ब्रहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोले :–
ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम :।
ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम :।।
कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में
बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें।
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