विक्रम संवत : 2079
शक संवत : 1944
अयन : उत्तरायण।
ऋतु : वसंत।
मास : वैैशाख
पक्ष : कृृष्ण
तिथि - प्रतिपदा रात्रि 10:01 तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र - चित्रा सुबह 07:17 तक तत्पश्चात स्वाती
योग - वज्र रात्रि 11:41 तक तत्पश्चात सिध्दि
राहुकाल - शाम 05:23 से शाम 06:58 तक
सूर्योदय - 06:19
सूर्यास्त - 18:57
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
पंचक
25 अप्रैल 2022, सोमवार को प्रात: 05:30 से,
29 अप्रैल 2022, शुक्रवार को सायंकाल 06:43 बजे तक
एकादशी
मंगलवार, 26 अप्रैल 2022- वरुथिनी एकादशी
गुरुवार, 12 मई 2022- मोहिनी एकादशी
गुरुवार, 26 मई 2022- अचला (अपरा) एकादशी
व्रत पर्व विवरण - श्री एकलिंगजी पाटोत्सव (कैलाशपुरी)
विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
आरती में कपूर का उपयोग
कपूर – दहन में बाह्य वातावरण को शुद्ध करने की अदभुत क्षमता है | इसमें जीवाणुओं, विषाणुओं तथा सूक्ष्मतर हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने की शक्ति है | घर में नित्य कपूर जलाने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है, शरीर पर बीमारियों का आक्रमण आसानी से नहीं होता, दु:स्वप्न नहीं आते और देवदोष तथा पितृदोषों का शमन होता है |
वैशाख मास माहात्म्य
वैशाख मास सुख से साध्य, पापरूपी ईंधन को अग्नि की भाँति जलानेवाला, अतिशय पुण्य प्रदान करनेवाला तथा धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष - चारों पुरुषार्थों को देनेवाला है ।
देवर्षि नारदजी राजा अम्बरीष से कहते हैं : ‘‘राजन् ! जो वैशाख में सूर्योदय से पहले भगवत्-चिंतन करते हुए पुण्यस्नान करता है, उससे भगवान विष्णु निरंतर प्रीति करते हैं ।
पाप तभी तक गरजते हैं जब तक जीव यह पुण्यस्नान नहीं करता ।
वैशाख मास में सब तीर्थ आदि देवता बाहर के जल (तीर्थ के अतिरिक्त) में भी सदैव स्थित रहते हैं । सब दानों से जो पुण्य होता है और सब तीर्थों में जो फल होता है, उसीको मनुष्य वैशाख में केवल जलदान करके पा लेता है । यह सब दानों से बढकर हितकारी है ।
वैशाख मास
इस मास में भक्तिपूर्वक किये गये दान, जप, हवन, स्नान आदि शुभ कर्मों का पुण्य अक्षय तथा सौ करोड़ गुना अधिक होता है। - पद्म पुराण
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