दिनांक 16 अप्रैल, शनिवार
विक्रम संवत : 2079 (गुजरात-2078)
शक संवत : 1944
अयन : उत्तरायण
ऋतु : वसंत ऋतु
मास : चैत्र
पक्ष : शुक्ल
तिथि : पूर्णिमा रात्रि 12:24 बजे तक तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र : हस्त सुबह 08:40 बजे तक तत्पश्चात चित्रा
योग : हर्षण 17अप्रैल रात्रि 02:45 बजे तक तत्पश्चात वज्र
राहुकाल : सुबह 09:29 बजे से सुबह 11:04 बजे तक
सूर्योदय : प्रातः 06:20 बजे
सूर्यास्त : संध्या 18:56 बजे
दिशाशूल : पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण
व्रत पूर्णिमा, चैत्री पूर्णिमा, श्री हनुमान जन्मोत्सव, वैशाख स्नान प्रारंभ, छत्रपति शिवाजी पुण्यतिथि
विशेष
पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
हनुमान जन्मोत्सव
जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। कभी कोई विरोधी परेशान करता है तो कभी घर के किसी सदस्य को बीमारी घेर लेती है। इनके अलावा भी जीवन में परेशानियों का आना-जाना लगा ही रहता है। ऐसे में हनुमानजी की आराधना करना ही सबसे श्रेष्ठ है। इस बार 16 अप्रैल, शनिवार को हनुमान जयंती है। हनुमानजी की कृपा पाने का यह बहुत ही उचित अवसर है। यदि आप चाहते हैं कि आपके जीवन में कोई संकट न आए तो नीचे लिखे मंत्र का जप हनुमान जयंती के दिन करें। प्रति मंगलवार या शनिवार को भी इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
मंत्र
ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा
जप विधि
सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें।
इसके बाद अपने माता-पिता, गुरु, इष्ट व कुल देवता को नमन कर कुश का आसन ग्रहण करें। पारद हनुमान प्रतिमा के सामने इस मंत्र का जप करेंगे तो विशेष फल मिलता है। जप के लिए लाल मूँगे की माला का प्रयोग करें।
वैशाख मास स्नान आरंभ
चैत्र शुक्ल पूर्णिमा से वैशाख मास स्नान आरंभ हो जाता है। यह स्नान पूरे वैशाख मास तक चलता है। इस बार वैशाख मास स्नान 16 अप्रैल, शनिवार से प्रारंभ हो रहा है।
स्कंदपुराण में वैशाख मास को सभी मासों में उत्तम बताया गया है। पुराणों में कहा गया है कि वैशाख मास में सूर्योदय से पहले जो व्यक्ति स्नान करता है तथा व्रत रखता है, वह भगवान विष्णु का कृपापात्र होता है। स्कंदपुराण में उल्लेख है कि महीरथ नामक राजा ने केवल वैशाख स्नान से ही वैकुण्ठधाम प्राप्त किया था। इसमें व्रती को प्रतिदिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व किसी तीर्थस्थान, सरोवर, नदी या कुएं पर जाकर अथवा घर पर ही स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद सूर्योदय के समय अर्ध्र्य देते समय नीचे लिखा मंत्र बोलना चाहिए।
वैशाखे मेषगे भानौ प्रात: स्नानपरायण:।
अध्र्यं तेहं प्रदास्यामि गृहाण मधुसूदन।।
वैशाख व्रत महात्म्य की कथा सुनना चाहिए तथा ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए। व्रती को एक समय भोजन करना चाहिए। वैशाख मास में जलदान का विशेष महत्व है। इस मास में प्याऊ की स्थापना करवानी चाहिए। पंखा, खरबूजा एवं अन्य फल, अन्न आदि का दान करना चाहिए।स्कंदपुराण के अनुसार इस मास में तेल लगाना, दिन में सोना, कांसे के बर्तन में भोजन करना, दो बार भोजन करना, रात में खाना आदि वर्जित माना गया है। वैशाख मास के देवता भगवान मधुसूदन हैं।
पंचक
पंचक का आरंभ : 24 अप्रैल 2022, रविवार को 18.43 बजे से
पंचक का समापन : 29 अप्रैल 2022, शुक्रवार को 08.15 बजे पर।
पंचक का आरंभ- 22 मई 2022, रविवार को 11.13 बजे से
पंचक का समापन : 26 मई 2022, मंगलवार को 24.39 बजे पर।
एकादशी
26 अप्रैल : वरुथिनी एकादशी
12 मई : मोहिनी एकादशी
26 मई : अचला (अपरा) एकादशी
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