विक्रम संवत : 2079
शक संवत : 1944
अयन : उत्तरायण।
ऋतु : वसंत।
मास : चैत्र।
पक्ष : शुक्ल।
तिथि - द्वादशी 14 अप्रैल प्रातः 04:49 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
नक्षत्र - मघा सुबह 09:37 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
योग - गण्ड सुबह 11:15 तक तत्पश्चात वृद्धि
राहुकाल - दोपहर 12:39 से दोपहर 02:14 तक
सूर्योदय - 06:22
सूर्यास्त - 18:55
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
पंचक
25 अप्रैल 2022, सोमवार को प्रात: 05:30 से,
29 अप्रैल 2022, शुक्रवार को सायंकाल 06:43 बजे तक
व्रत पर्व विवरण - वामन - मदन द्वादशी, विष्णुदमनोत्सव
विशेष - द्वादशी
संक्रांति
इसमें किया गया जप, ध्यान, दान व पुण्यकर्म अक्षय होता है ।
अंनग त्रयोदशी
14 अप्रैल 2022 गुरुवार को अंनग त्रयोदशी के दिन व्रत करने से दाम्पत्य - प्रेम में वृद्धि होती है तथा पति - पुत्रादि का अखंड सुख प्राप्त होता है।
हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष उपाय
हनुमानजी प्रणाम मंत्र
16 अप्रैल 2022 शनिवार को हनुमान जी का जन्मोत्सव है ।
सुमिरि पवनसुत पावन नाम , अपने वश करि राखे राम ।
हे हनुमानजी, आपने रामनाम का ऐसा तो सुमिरन किया कि रामजी को ही आपने अपने वश में कर लिया ।
सिंदूर और चोला न चढ़ाये, नारियल न रखें तो हनुमानजी नाराज नहीं होंगे पर ये बोल दे कि हनुमानजी आपको भगवान का नाम कितना प्यारा लगता है ।
सुमिरि पवनसुत पावन नाम , अपने वश करि राखे राम । हनुमानजी राजी होंगे ।
हनुमान जयंती - दीप दान महिमा
गेहूँ, तिल, उड़द, मूंग और चावल.. इन पाँचों के आटे से मिलाकर दिया बनाया जाये और वो जलाकर हनुमानजी के नाम से मंदिर में, पीपल या बड के पेड़ या घर में ही रखा जाये तो बड़ा शुभ माना जाता है |
इससे मनोरथो की सिद्धि होती है|
भक्ति बढ़ाने की भावना से हनुमानजी की राम भक्ति सच्ची है तो मेरी भी मेरे अराध्य के चरणों में, मेरे सद्गुरु के चरणों में मेरी भक्ति सच्ची हो, दृढ हो | मेरा जीवन उपासनामय हो | मैं इच्छानिवृति का रास्ता कभी न छोडू, मैं गुरु की उपासना का रास्ता कभी न छोडू | मेरी भक्ति में दृढ़ता है इसलिए हनुमानजी की जयंती को हनुमान के नाम से पाँच अन्न का आटा मिलाकर अगर दीपक बनाया जाये और हनुमानजी के नाम से जलाया जाय तो बड़ा शुभ माना जाता है | सरसों का तेल के और घी का भी दिया कर सकते हैं |
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