Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (11 अप्रैल 2022)

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दिनांक : 11 अप्रैल, दिन : सोमवार


विक्रम संवत : 2079


शक संवत : 1944


अयन : उत्तरायण।


ऋतु : वसंत।


मास : चैत्र।


पक्ष : शुक्ल।


तिथि -  दशमी 12 अप्रैल प्रातः 04:30 तक तत्पश्चात एकादशी


नक्षत्र - पुष्य सुबह 06:51 तक तत्पश्चात अश्लेशा


योग - धृति दोपहर 12:19 तक तत्पश्चात शूल


राहुकाल - सुबह 07:57 से सुबह 09:32 तक


सूर्योदय - 06:24


सूर्यास्त - 18:55


दिशाशूल - पूर्व दिशा में


पंचक


25 अप्रैल 2022, सोमवार को प्रात: 05:30 से,

29 अप्रैल 2022, शुक्रवार को सायंकाल 06:43 बजे तक


व्रत पर्व विवरण - धर्मराज दशमी


एकादशी व्रत के लाभ


12 अप्रैल 2022 मंगलवार को प्रातः 04:31 से 13 अप्रैल, बुधवार को प्रातः 05:02 तक (यानी 12 अप्रैल, मंगलवार को पूरा दिन) एकादशी है।


विशेष - 12 अप्रैल, मंगलवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें।

एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।

-जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।

-जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है। 

-एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।

-धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।

-कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है।

-परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी  ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।


एकादशी के दिन करने योग्य


एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें।   विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l

          

एकादशी के दिन ये सावधानी रहे


महीने में 15-15 दिन में  एकादशी आती है। एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए। एकादशी के दिन जो  चावल खाता है तो धार्मिक ग्रन्थ के अनुसार एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है। 

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