विक्रम संवत : 2079
शक संवत : 1944
अयन : उत्तरायण।
ऋतु : वसंत।
मास : चैत्र।
पक्ष : शुक्ल।
तिथि - पंचमी शाम 06:01 तक तत्पश्चात षष्ठी
नक्षत्र - रोहिणी शाम 07:40 तक तत्पश्चात मृगशिरा
योग - आयुष्मान सुबह 08:38 तक तत्पश्चात सौभाग्य
राहुकाल - दोपहर 12:41 से दोपहर 02:15 तक
सूर्योदय - 06:28
सूर्यास्त - 18:53
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
पंचक
25 अप्रैल 2022, सोमवार को प्रात: 05:30 से,
29 अप्रैल 2022, शुक्रवार को सायंकाल 06:43 बजे तक
व्रत पर्व विवरण - श्री पंचमी
विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
यदि आपके घर की आर्थिक स्थिति दिन ब दिन कमजोर होती जा रही है, कमाई से ज्यादा खर्च बढ़ता जा रहा है और कर्ज का भार बढ़ता चला जा रहा है। तो यह आपके रसोई घर में वास्तु दोष को दर्शाता है। ऐसी स्थिति में बिना देरी किए हुए घर के किचन में चांदी की कटोरी में कुछ लौंग और कपूर जलाएं। अगर आप रोजाना ऐसा करते हैं तो आपके घर पर मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहेगी और कभी पैसे की तंगी नहीं होगी।
आर्थिक परेशानी हो तो
स्कंद पुराण में लिखा है पौष मास की शुक्ल पक्ष की दसमी तिथि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी(06 अप्रैल 2022 बुधवार) और सावन महीने की पूनम ये दिन लक्ष्मी पूजा के खास बताये गये हैं | इन दिनों में अगर कोई आर्थिक कष्ट से जूझ रहा है | पैसों की बहुत तंगी है घर में तो 12 मंत्र लक्ष्मी माता के बोलकर, शांत बैठकर मानसिक पूजा करे और उनको नमन करें तो उसको भगवती लक्ष्मी प्राप्त होती है, लाभ होता है, घर में लक्ष्मी स्थायी हो जाती हैं | उसके घर से आर्थिक समस्याए धीरे धीरे किनारा करती है | बारह मंत्र इसप्रकार हैं।
ॐ ऐश्वर्यै नम:
ॐ कमलायै नम:
ॐ लक्ष्मयै नम:
ॐ चलायै नम:
ॐ भुत्यै नम:
ॐ हरिप्रियायै नम:
ॐ पद्मायै नम:
ॐ पद्माल्यायै नम:
ॐ संपत्यै नम:
ॐ ऊच्चयै नम:
ॐ श्रीयै नम:
ॐ पद्मधारिन्यै नम:
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्ति प्रदायिनि | मंत्रपूर्ते सदा देवि महालक्ष्मी नमोस्तुते ||
द्वादश एतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्यय पठेत | स्थिरा लक्ष्मीर्भवेतस्य पुत्रदाराबिभिस: ||
उसके घर में लक्ष्मी स्थिर हो जाती है | जो इन बारह नामों को इन दिनों में पठन करें |
विशेष - 06 अप्रैल 2022 बुधवार को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है ।
नवरात्र की पंचमी तिथि यानी पांचवे दिन माता दुर्गा को केले का भोग लगाएं ।इससे परिवार में सुख-शांति रहती है ।
स्कंदमाता की पूजा से मिलती है शांति व सुख
नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान करने वाली हैं। देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जानते हैं। स्कंदमाता हमें सिखाती हैं कि जीवन स्वयं ही अच्छे-बुरे के बीच एक देवासुर संग्राम है व हम स्वयं अपने सेनापति हैं। हमें सैन्य संचालन की शक्ति मिलती रहे। इसलिए स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित होना चाहिए, जिससे कि ध्यान वृत्ति एकाग्र हो सके।
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