विक्रम संवत : 2079
शक संवत : 1944
अयन : उत्तरायण।
ऋतु : वसंत।
मास : चैत्र।
पक्ष : शुक्ल।
तिथि - चतुर्थी शाम 03:46 तक तत्पश्चात पंचमी
नक्षत्र - कृत्तिका शाम 04:52 तक तत्पश्चात रोहिणी
योग - प्रीति सुबह 08:00 तक तत्पश्चात आयुष्मान
राहुकाल - शाम 03:48 से शाम 05:21 तक
सूर्योदय - 06:29
सूर्यास्त - 18:53
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
पंचक
25 अप्रैल 2022, सोमवार को प्रात: 05:30 से,
29 अप्रैल 2022, शुक्रवार को सायंकाल 06:43 बजे तक
विशेष - चतुर्थी
यदि घर के किसी हिस्से में वास्तु दोष निर्मित हो रहा है तो वहां कपूर की दो टिकिया रख दें, जब वह टिकिया गल कर समाप्त हो जाए, तो वहां पर दो टिकिया दोबोरा रख दें। इस तरह कपूर बदलते रहने से घर के उस स्थान पर वास्तु दोष निर्मित नहीं होगा।
नवरात्रि की पंचमी तिथि
06 अप्रैल 2022 बुधवार को चैत्र - शुक्ल पक्ष की पंचमी की बड़ी महिमा है | इसको श्री पंचमी भी कहते है | संपत्ति वर्धक है।
इन दिनों में लक्ष्मी पूजा की भी महिमा है | ह्रदय में भक्तिरूपी श्री आये इसलिए ये उपासाना करें | इस पंचमी के दिन हमारी श्री बढ़े, हमारी गुरु के प्रति भक्तिरूपी श्री बढ़े | उसके लिए भी व्रत, उपासाना आदि करना चाहिए | पंचमं स्कंध मातेति | स्कंध माता कार्तिक स्वामी की माँ पार्वतीजी। उस दिन मंत्र बोलो – ॐ श्री लक्ष्मीये नम: |
नवरात्रि के चौथे दिन यानी चतुर्थी तिथि को माता दुर्गा को मालपुआ का भोग लगाएं ।इससे समस्याओं का अंत होता है ।
मंगलवारी चतुर्थी
अंगार चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना।जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है।
- बिना नमक का भोजन करें
- मंगल देव का मानसिक आह्वान करो
- चन्द्रमा में गणपति की भावना करके अर्घ्य दें
कितना भी कर्ज़दार हो,काम धंधे से बेरोजगार हो, रोज़ी रोटी तो मिलेगी और कर्जे से छुटकारा मिलेगा।
भारतीय समय के अनुसार 05 अप्रैल 2022 को (सूर्योदय से शाम 03:46 तक) चतुर्थी है। इस महा योग पर अगर मंगल ग्रह देव के 21 नामों से सुमिरन करें और धरती पर अर्घ्य देकर प्रार्थना करें,शुभ संकल्प करें तो आप सकल ऋण से मुक्त हो सकते हैं।
मंगल देव के 21 नाम इस प्रकार हैं -
1) ॐ मंगलाय नमः
2) ॐ भूमि पुत्राय नमः
3 ) ॐ ऋण हर्त्रे नमः
4) ॐ धन प्रदाय नमः
5 ) ॐ स्थिर आसनाय नमः
6) ॐ महा कायाय नमः
7) ॐ सर्व कामार्थ साधकाय नमः
8) ॐ लोहिताय नमः
9) ॐ लोहिताक्षाय नमः
10) ॐ साम गानाम कृपा करे नमः
11) ॐ धरात्मजाय नमः
12) ॐ भुजाय नमः
13) ॐ भौमाय नमः
14) ॐ भुमिजाय नमः
15) ॐ भूमि नन्दनाय नमः
16) ॐ अंगारकाय नमः
17) ॐ यमाय नमः
18) ॐ सर्व रोग प्रहाराकाय नमः
19) ॐ वृष्टि कर्ते नमः
20) ॐ वृष्टि हराते नमः
21) ॐ सर्व कामा फल प्रदाय नमः
ये 21 मन्त्र से भगवान मंगल देव को नमन करें, फिर धरती पर अर्घ्य देना चाहिए।अर्घ्य देते समय ये मन्त्र बोले।
भूमि पुत्रो महा तेजा
कुमारो रक्त वस्त्रका
ग्रहणअर्घ्यं मया दत्तम
ऋणम शांतिम प्रयाक्ष्मे
हे भूमि पुत्र: महातेजस्वी,रक्त वस्त्र धारण करने वाले देव मेरा अर्घ्य स्वीकार करो और मुझे ऋण से शांति प्राप्त कराओ।
रोग, शोक दूर करती हैं मां कूष्मांडा
नवरात्रि की चतुर्थी तिथि की प्रमुख देवी मां कूष्मांडा हैं। देवी कूष्मांडा रोगों को तुरंत नष्ट करने वाली हैं। इनकी भक्ति करने वाले श्रद्धालु को धन-धान्य और संपदा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। मां दुर्गा के इस चतुर्थ रूप कूष्मांडा ने अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न किया। इसी वजह से दुर्गा के इस स्वरूप का नाम कूष्मांडा पड़ा।
मां कूष्मांडा के पूजन से हमारे शरीर का अनाहत चक्रजागृत होता है। इनकी उपासना से हमारे समस्त रोग व शोक दूर हो जाते हैं। साथ ही, भक्तों को आयु, यश, बल और आरोग्य के साथ-साथ सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुख भी प्राप्त होते हैं।
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