दिनांक : 03 अप्रैल, दिन : रविवार
विक्रम संवत : 2079
शक संवत : 1944
अयन : उत्तरायण।
ऋतु : वसंत।
मास : चैत्र।
पक्ष : शुक्ल।
तिथि : द्वितीया दोपहर 12:38 बजे तक तपश्चात तृतीया।
नक्षत्र : अश्विनी दोपहर 12:37 बजे तक तपश्चात भरणी।
योग : वैधृति सुबह 07:54 बजे तक तत्पश्चात विष्कम्भ।
राहुकाल : शाम 05:23 बजे से शाम 06:56 बजे तक।
सूर्योदय : प्रात: 06:30 बजे।
सूर्यास्त : संध्या 06:56 बजे।
दिशाशूल : पश्चिम दिशा में।
पंचक
पंचक का आरंभ 28 मार्च 2022, सोमवार को रात्रि 11.55 बजे से
पंचक का समापन- 2 अप्रैल 2022, शनिवार को सुबह 11.21 बजे तक
व्रत पर्व विवरण
मत्स्य जयन्ती ( भगवान विष्णु के प्रथम अवतार )
द्वितीया को बृहती (छोटा वैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
चैत्र नवरात्रि : मां ब्रह्मचारिणी का पूजन
नवरात्रि की द्वितीया तिथि पर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्म शक्ति यानी तप की शक्ति का प्रतीक हैं। इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही, सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं। नवरात्रि की द्वितीया तिथि यानी दूसरे दिन माता दुर्गा को शक्कर का भोग लगाएं।इससे उम्र लंबी होती है।
लक्ष्मी प्राप्ति साधना
श्रीमद् देवीभागवत में वर्णित नवरात्रि में जप से श्रेष्ठ लक्ष्मीप्राप्ति का दुर्लभ मंत्र। नवरात्रि में मंत्र जप से श्रेष्ठ लक्ष्मी- प्राप्ति होती हैं। जप का मंत्र बताया गया है। इस मंत्र से लक्ष्मी जी महालक्ष्मी होकर भोग और मोक्ष देनेवाली बनती हैं।
मंत्र - "ॐ श्रीं ह्रीं क्लिं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा"
सप्तमी, अष्टमी, नवमी ये तीन दिन, व्यास जी ने कहा कि ये तीन दिन का जप, पूजन, व्रत करे तो नवरात्रि का फल प्राप्त होगा। ब्रम्हचर्य का पालन, दिया जलाकर प्राणायाम आदि करके माता की प्रसन्नता, शक्ति की उपासना का ये मंत्र है। ॐ बीज मंत्र है, बड़ा शक्तिशाली है। श्रीं भी बीज मंत्र है। ह्रीं भी बीज मंत्र है। क्लिं भी बीज मंत्र है। ऐं भी बीज मंत्र है। इसमें पांच बीज मंत्र हैं। इन बीज मंत्रों में दैविक शक्तियों के पुंज के पुंज छिपे हैं। आपके अन्दर जो केंद्र है उनको ये बीज मंत्र जागृत और प्रभावित करेंगे।
विजय मुहूर्त : अपराह्न 2:47 बजे से अपराह्न 3:37 बजे तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 6:43 बजे से शाम 7:07 बजे तक।
सायह्न संध्या : शाम 6:55 बजे से रात्रि 8:05 बजे तक।
ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 04:58 बजे से सुबह 05:44 बजे तक।
निशिता मुहूर्त : रात्रि 12.19 बजे से 01:06 बजे तक।
अभिजित मुहुर्त : दोपहर 12:19 बजे से दोपहर 01:08 बजे तक।
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