विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)
शक संवत : 1943
अयन : उत्तरायण
ऋतु - वसंत ऋतु
मास - चैत्र
पक्ष - शुक्ल
तिथि - प्रतिपदा सुबह 11:58 तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र - रेवती सुबह 11:21 तक तत्पश्चात अश्विनी
योग - इन्द्र सुबह 08:31 तक तत्पश्चात वैधृति
राहुकाल - सुबह 09:37 से सुबह 11:10 तक
सूर्योदय - 06:32
सूर्यास्त - 18:52
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
पंचक
पंचक का आरंभ 28 मार्च 2022, सोमवार को रात्रि 11.55 बजे से
पंचक का समापन- 2 अप्रैल 2022, शनिवार को सुबह 11.21 बजे तक
25 अप्रैल 2022, सोमवार को प्रात: 05:30 से,
29 अप्रैल 2022, शुक्रवार को सायंकाल 06:43 बजे तक
वर्ष में 4 नवरात्रियाँ होती हैं
साल में 4 नवरात्रियाँ होती हैं, जिनमे से २ नवरात्रियाँ गुप्त होती हैं -
माघ शुक्ल पक्ष की प्रथम 9 तिथियाँ
चैत्र मास की रामनवमी के समय आती हैं वो 09 तिथियाँ इस साल 02 अप्रैल 2022 शनिवार से शुरू होगी।
आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष के 09 दिन
अश्विन महिने की दशहरे के पहले आनेवाली 09 तिथियाँ
नवरात्रियों में उपवास करते, हैं तो एक मंत्र जप करें ।ये मंत्र वेद व्यास जी भगवान ने कहा है। इससे श्रेष्ट अर्थ की प्राप्ति हो जाती है।दरिद्रता दूर हो जाती है । "ॐ श्रीं ह्रीं क्लिं ऐं कमल वसिन्ये स्वाहा"
नवरात्र में व्रत-पूजा की तरह ही भोग का भी बहुत महत्व होता है। मां के नौ रूपों को कौन-से नौ भोग लगाने चाहिए।
प्रतिपदा: रोगमुक्त रहने के लिए मां शैलपुत्री को गाय के घी से बनी स़फेद चीज़ों का भोग लगाएं।
द्वितीया: लंबी उम्र के लिए मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाएं।
तृतीया: दुख से मुक्ति के लिए मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीज़ों का भोग लगाएं।
चतुर्थी: तेज़ बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने के लिए मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं।
पंचमी: स्वस्थ शरीर के लिए मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं।
षष्ठी: आकर्षक व्यक्तित्व और सुंदरता पाने के लिए मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं।
सप्तमी: शोक व संकटों से बचने के लिए मां कालरात्रि की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करें।
अष्टमी: संतान संबंधी समस्या से छुटकारा पाने के लिए मां महागौरी को नारियल का भोग लगाएं।
नवमी: सुख-समृद्धि के लिए मां सिद्धिदात्री को हलवा, चना-पूरी, खीर आदि का भोग लगाएं।
नवरात्रि के दिनों में जप करने का मंत्र
नवरात्रि के दिनों में ' ॐ श्रीं ॐ ' का जप करें ।
चेटीचंड
02 अप्रैल 2022 शनिवार को चेटीचंड पर्व है । उस दिन शाम को आकाश में चन्द्रमा दिखे दूज का चाँद शुक्ल पक्ष का, चैत्र सुद दूज तो उस दिन रात को चंद्रमा को अर्घ्य दें ताकि मेरा मन शांत रहे, भक्ति में लगे, गुरु चरणों में लगे ऐसा भी करें और
"ॐ बालचन्द्रमसे नमः |" " ॐ बालचन्द्रमसे नमः|" " ॐ बालचन्द्रमसे नमः | " ऐसा बोलते हुए अर्घ्य दें । और मेरा मन गुरु भक्ति में लगे, गुरु चरणों में लगे ऐसा शुभ संकल्प करें ।
विद्यार्थी के लिए
नवरात्रि के दिनों में खीर की 21 या 51 आहुति गायत्री मंत्र बोलते हुए दें । इससे विद्यार्थी को बड़ा लाभ होगा।
चैत्र नवरात्रि
चैत्र मास के नवरात्र का आरंभ 02 अप्रैल, शनिवार से हो रहा है। नवरात्रि में रोज देवी को अलग-अलग भोग लगाने से तथा बाद में इन चीजों का दान करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। जानिए नवरात्रि में किस तिथि को देवी को क्या भोग लगाएं-
-प्रतिपदा तिथि (नवरात्र के पहले दिन) पर माता को घी का ।भोग लगाएं ।इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा शरीर निरोगी होता है ।
चैत्र नवरात्रि
चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तिथि तक वासंतिक नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार वासंतिक नवरात्रि का प्रारंभ 02 अप्रैल, शनिवार से हो रहा है, धर्म ग्रंथों के अनुसार, नवरात्रि में हर तिथि पर माता के एक विशेष रूप का पूजन करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती हैं । जानिए नवरात्रि में किस दिन देवी के कौन से स्वरूप की पूजा करें-
हिमालय की पुत्री हैं मां शैलपुत्री
चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, देवी का यह नाम हिमालय के यहां जन्म होने से पड़ा। हिमालय हमारी शक्ति, दृढ़ता, आधार व स्थिरता का प्रतीक है। मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। नवरात्रि के प्रथम दिन योगीजन अपनी शक्ति मूलाधार में स्थित करते हैं व योग साधना करते हैं।
हमारे जीवन प्रबंधन में दृढ़ता, स्थिरता व आधार का महत्व सर्वप्रथम है। इसलिए इस दिन हमें अपने स्थायित्व व शक्तिमान होने के लिए माता शैलपुत्री से प्रार्थना करनी चाहिए। शैलपुत्री की आराधना करने से जीवन में स्थिरता आती है। हिमालय की पुत्री होने से यह देवी प्रकृति स्वरूपा भी हैं । स्त्रियों के लिए उनकी पूजा करना ही श्रेष्ठ और मंगलकारी है।
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