प्रारब्ध अध्यात्म डेस्क,लखनऊ
शास्त्रानुसार भगवान गणेश प्रथम पूज्य हैं। इनकी पूजा, किसी भी पूजा से पहले पूजा की जाती है। भगवान गणेश जी की पूजा बुधवार को करने का विधान है। भक्तगण बुधवार को पूरे विधि- विधान के साथ भगवान गणेश की आराधना करते हैं।
गणेश जी की पूजा में दुर्वा जरूर होता है। क्योंकि गणेश जी को दुर्वा बहुत प्रिय है। दूर्वा को दूब भी कहा जाता है। यह एक प्रकार की घास होती हैजो कि गणेश पूजन में उपयोग की जाती है। ऐसा माना जाता है की दूर्वा 21 गांठ है गणेश जी पर चढ़ाने से व्यक्ति के सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
गणेश जी को दूर्वा प्रिय क्यों
भगवान गणेश को दूर्वा इतनी क्यों प्रिय है इसके बारे में पुराणों में यह कथा प्रचलित है कि प्राचीन काल में अनलासुर नाम का एक दैत्य था। उसके कोप से स्वर्ग और धरती पर त्राहि-त्राहि मची हुई थी।अनलासुर एक ऐसा दैत्य था जो ऋषि-मुनियों और मनुष्यों को सीधा निगल जाता था।
इस दैत्य के अत्याचारों से त्रस्त होकर इंद्र सहित सभी देवी-देवता, ऋषि- मुनि भगवान महादेव से प्रार्थना करने जा पहुंचे और सभी ने महादेव से यह विनती की अनलासुर के आतंक का खात्मा करें।
तब महादेव ने समस्त देवी देवताओं एवं ऋषि- मुनियों की प्रार्थना सुनकर उनसे कहा कि दैत्य अनलासुर का नाश केवल गणेश जी ही कर सकते हैं। उनकी प्रार्थना पर श्री गणेश जी ने अनलासुर को निगल लिया।तब उनके पेट में बहुत जलन होने लगी।
इस परेशानी से निपटने के लिए कई प्रकार के उपाय करने के बाद भी जब गणेशजी के पेट की जलन शांत नहीं हुई, तब कश्यप ऋषि ने दूर्वा की 21 गांठें बनाकर श्री गणेश को खाने को दीं। यह दूर्वा श्री गणेशजी ने ग्रहण की, तब कहीं जाकर उनके पेट की जलन शांत हुई। ऐसा माना जाता है कि श्री गणेश को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा तभी से आरंभ हुई।।
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