-दो से आठ अप्रैल तक ऑटिज़्म अवेयरनेस वीक का आयोजन करेगी एनजीएमए
वर्ल्ड ऑटिज़्म अवेरनेस डे यानी विश्व आत्मकेंद्रित जागरूकता दिवस , प्रत्येक साल 2 अप्रैल को दुनिया भर में मनाया जाता है। ऑटिज्म एक प्रकार का मानसिक रोग है, जिसमें बच्चों का दिमाग पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता है। अभी भी बहुत कम लोग इस मानसिक बीमारी के बारे में जानते हैं और इसकी वजह से इससे होने वाली परेशानियों का सही समय पर इलाज नहीं ढूंढ पाते।
नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट, नई दिल्ली द्वारा, एक सप्ताह( 2 अप्रैल से 8 अप्रैल) तक के लिए
इस गंभीर परेशानी को जड़ से खत्म करने और लोगों को इस न्यूरोलोजिकल और विकासात्मक स्थिति के बारे में जागरूक करने के लिए ऑटिज़्म अवेरनेस वीक कार्यक्रम का आयोजन कर रही है। जिसकी शुरुआत 2 अप्रैल से एक वर्कशॉप के साथ हो गई है।
नेशनल गैलेरी ऑफ मॉडर्न आर्ट लगातार कला-संस्कृति से लोगों को जोड़ने का प्रयास करती है। इसी क्रम में यह संस्थान एक सप्ताह के कार्यक्रम में ऑटिज़्म से प्रभावित लोगों को मिलने और आपस में बात करने का एक मंच प्रदान कर रही है। आपको बता दें कि भारत में यह मानसिक रोग हर 100 में से एक बच्चे में पाया जाता है।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) से पीड़ित बच्चे दिन- प्रतिदिन की गतिविधियों और सामाजिक तौर पर बातचीत करने में हिचकते हैं, और साथ ही उन्हें किसी दूसरे व्यक्ति के साथ सामंजस्य बिठाने में एक आम व्यक्ति की तुलना में काफी ज्यादा समय लगता है।
कला किसी भी परेशानी और तनाव को कम करने में रामबाण की तरह काम करता है। इतना ही नहीं दुनियाभर के कई डॉक्टर भी गंभीर से गंभीर बीमारी को ठीक करने के लिए कला के कई रूपों का प्रयोग करते हैं, और जब बात आती है ऑटिज्म की तो कला न सिर्फ इस बीमारी को ठीक करने बल्कि बच्चों के मानसिक विकास के लिए भी काफी उपयोगी साबित होती है।
यह कार्यक्रम स्पेशल बच्चों के लिए उपयोगी साबित होगा : अद्वैत गणनायक
एनजीएमए के डायरेक्टर जनरल अद्वैत गणनायक जी ने एनजीएमए द्वारा आयोजित ऑटिज़्म अवेरनेस वीक प्रोग्राम के बारे में बताते हुए कहा कि यह कार्यशाला स्पेशल बच्चों के लिए काफी उपयोगी साबित होगी। उन्होंने आगे कहा कि हमारा उद्देश्य उन बच्चों की सोच को समझना और उनकी सोच के साथ हमारी सोच को मिलाकर एक माहौल तैयार करने का है , जिससे यहां पर बच्चे जो भी सोच ले कर आए उसी माहौल में ढल जाए और इसीलिए हमने नीला कैनवस, नीली दीवार और नीली लाइट लगाई है ताकि उनको लगे कि हम सब लोग एक हैं हम अलग नहीं हैं।
यह जो विशेष बच्चे हैं इनकी सोच बहुत बड़ी है कई बार हम इनकी सोच को समझ नहीं पाते लेकिन जब हम इसे समझते हैं तो हम अपने आप को उनके सामने छोटा पाते हैं उनकी जो दुनिया है उससे इमेजिन करना मुश्किल है और एनजीएमए इन्हीं बच्चों के लिए यह स्पेशल प्रोग्राम कर रहा है।
यह कार्यक्रम सप्ताह भर चलेगा आज इसका पहला दिन था , इसमें बहुत सारे विशेष बच्चे जुड़ रहे हैं और हम चाहते हैं कि उनके अभिभावक उनके दोस्त वह सब भी जुड़े और उनके साथ भी डायलॉग हो। इस तरह के स्पेशल बच्चे जब आर्ट को अपनाते हैं तो वह बहुत महान कलाकार बन सकते हैं। कई बार इनकी कलाकृतियां हमें अचंभित कर देती हैं। इस तरह के बच्चों के लिए काम करना चाहिए, एक माहौल तैयार करना चाहिए , एनजीएमए ऐसे बच्चों के लिए काम कर रहा है और आगे भी करता रहेगा।
आर्ट वर्कशॉप का होगा आयोजन
नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत 2 अप्रैल को एक आर्ट वर्कशॉप से हुई। इसके बाद 3 अप्रैल को इस क्षेत्र के प्रख्यात डॉक्टर, शिक्षकों और कला शिक्षकों के साथ एक इंटरैक्टिव सत्र का आयोजन किया गया
फिर, 4 अप्रैल को एक और कला कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की रचनात्मक ऊर्जा को उजागर करने के लिए 3 से 8 अप्रैल तक उनके द्वारा बनाए गए चित्र और पेंटिंग प्रदर्शित की गई।
इस कार्यक्रम में लेखक और आत्मकेंद्रित कार्यकर्ता नीना वाघ, शिक्षक अंशुल बत्रा, काउंसलर किट्टू सेखों, बाल मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक डॉ दीपिंदर सेखों, माधवी गुप्ता, नैदानिक मनोवैज्ञानिक स्वाति हंस और रेणु गोयल, कला चिकित्सक इशानी आहूजा और विशेष शिक्षक प्रोफेसर सुभाष आर्य भी शामिल होंगे।
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में ऑटिज्म जागरूकता सप्ताह में एकजुटता दिखाने के लिए, एनजीएमए के प्रांगण को अंधेरे के बाद नीली रोशनी में रोशन किया जाएगा। उम्मीद है कि बड़ी संख्या में लोग प्रदर्शनी देखने आएंगे और इन कलाकारों को प्रोत्साहित करेंगे।
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