Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (27 मार्च 2022)

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27 मार्च, दिन : रविवार


विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)


शक संवत : 1943


अयन : उत्तरायण


ऋतु - वसंत ऋतु


मास - चैत्र  (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - फाल्गुन)


पक्ष - कृष्ण


तिथि -  दशमी शाम 06:04 तक तत्पश्चात एकादशी


नक्षत्र - उत्तराषाढा दोपहर 01:32 तक तत्पश्चात श्रवण

योग - शिव रात्रि 08:16 तक तत्पश्चात सिद्ध


राहुकाल - शाम 05:20 से शाम 06:52 तक


सूर्योदय - 06:37


सूर्यास्त - 18:50


दिशाशूल - पश्चिम दिशा में


पंचक


पंचक का आरंभ 28 मार्च 2022, सोमवार को रात्रि 11.55 बजे से 

पंचक का समापन- 2 अप्रैल 2022, शनिवार को सुबह 11.21 बजे तक 


एकादशी


सोमवार, 28 मार्च 2022- पापमोचनी एकादशी


प्रदोष 


29 मार्च, दिन: मंगलवार, भौम प्रदोष व्रत, पूजा मुहूर्त: शाम 06:37 बजे से रात 08:57 बजे तक


व्रत पर्व विवरण - ब्रह्मलीन भगवत्पाद साईं श्री लीलाशाहजी महाराज का प्राकट्य दिवस


विशेष - रविवार 

स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।

       

एकादशी व्रत के लाभ


27 मार्च 2022 रविवार को शाम 06:05 से 28 मार्च, सोमवार को शाम 04:15 तक एकादशी है ।


विशेष - 28 मार्च, सोमवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।

एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।

जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।

जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है। 

एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।

धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।

कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।

परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी  ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।

        

एकादशी के दिन करने योग्य 


एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें।  विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो 10 माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l


एकादशी के दिन ये सावधानी रहे


महीने में 15-15 दिन में  एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो  चावल खाता है।

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