Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (06 मार्च 2022)

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06 मार्च, दिन : रविवार


विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)


शक संवत : 1943


अयन : उत्तरायण


ऋतु - वसंत ऋतु प्रारंभ


मास - फाल्गुन (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार- माघ)


पक्ष - शुक्ल 


तिथि -  चतुर्थी रात्रि 09:11 तक तत्पश्चात पंचमी


नक्षत्र - अश्विनी 07 मार्च रात्रि 03:51 तक तत्पश्चात भरणी


योग - ब्रह्म रात्रि 12:01 तक तत्पश्चात इन्द्र


सूर्योदय - 06:56


सूर्यास्त - 18:43

(सूर्योदय और सूर्यास्त के समय में जिलेवार अंतर संभव है)

दिशाशूल - पश्चिम दिशा में


पंचक


पंचक का आरंभ 28 मार्च 2022, सोमवार को रात्रि 11.55 बजे से 

पंचक का समापन- 2 अप्रैल 2022, शनिवार को सुबह 11.21 बजे तक 


एकादशी


सोमवार, 14 मार्च 2022- आमलकी एकादशी

सोमवार, 28 मार्च 2022- पापमोचनी एकादशी


प्रदोष


15 मार्च, दिन: मंगलवार, भौम प्रदोष व्रत, पूजा मुहूर्त: शाम 06:29 बजे से रात 08:53 बजे तक


29 मार्च, दिन: मंगलवार, भौम प्रदोष व्रत, पूजा मुहूर्त: शाम 06:37 बजे से रात 08:57 बजे तक


पूर्णिमा


17 मार्च, दिन: गुरुवार: फाल्गुन पूर्णिमा


व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी


विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)


मास अनुसार देवपूजन


माघ मास में सूर्य पूजन का विशेष विधान है | भविष्य पुराण आदि में वर्णन आता है | आरोग्यप्राप्ति हेतु, माघ मास आया तो सूर्य उपासना करों |

फाल्गुन मास आया तो होली का पूजन किया जाता है.. बच्चों की सुरक्षा हेतु |

चैत्र मास आता है चैत्र मास में ब्रम्हा, दिक्पाल आदि का पूजन कियाजाता है ताकि वर्षभर हमारे घर में सुख-शांति रहें |

वैशाख मास भगवान माधव का पूजन किया जाता है ताकि, मरने के बाद वैकुंठलोक की प्राप्ति हो | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय... |

जेष्ठ मास में यमराज की पूजा की जाती है जो की वटसावित्री का व्रत सुहागन देवियाँ करती हैं | यमराज की पूजा की जाती है ताकि, सौभाग्य की प्राप्ति हो, दुर्भाग्य दूर हो |

श्रावण मास में दीर्घायु की प्राप्ति हो, श्रावण मास में शिवजी की पूजाकी जाती है | अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि विनाशनम् |

भाद्रपद मास में गणपति की पूजा करते है की, निर्विध्नता की प्राप्ति हेतु |

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में फिर पितृ पूजन करते है की, वंश वृद्धि हेतु | और अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में माँ दुर्गा की पूजा होती है की, शत्रुओं पर विजय प्राप्ति हेतु नवरात्रियां  |

कार्तिक मास में लक्ष्मी पूजा की जाती है, सम्पति बढ़ाने हेतु |

मार्गशीर्ष मास में विश्वदेवताओं का पूजन किया जाता है कि जो गुजर गये उनकी आत्मा की शांति हेतु ताकि उनको शांति मिले | जीवनकाल में तो बिचारेशांति न लें पाये और चीजों में उनकी शांति दिखती रही पर मिली नहीं | तो मार्गशीर्ष मास में विश्व देवताओं का पूजन करते हैं भटकते जीवों के सद्गति हेतु |

 आषाढ़ मास में गुरुदेव का पूजन करते हैं अपने कल्याण हेतु और गुरुदेव का पूजन करते हैं तो फिर बाकी सब देवी-देवताओं की पूजा से जो फल मिलता है वह फल सद्गुरु की पूजा से भी प्राप्त हो सकता है, शिष्य की भावना पक्की हो की – सर्वदेवोमय गुरु | सभी देवों का वास मेरे गुरुदेव में हैं | तोअन्य देवताओं की पूजा से अलग-अलग मास में अलग-अलग देव की पूजा से अलग-अलग फल मिलता है पर उसमें द्वैत बना रहता है और फल जो मिलता है वो छुपने वाला होता है | पर गुरुदेव की पूजा-उपासना से ये फल भी मिल जाते है और धीरे-धीरे द्वैत मिटता जाता है | अद्वैत में स्थिति होती जाती है |


चंदन तिलक की महिमा 

चंदनस्य  महतपुण्यं पवित्रं पाप नाशनम |

आपदं हरति नित्यं लक्ष्मी तिष्ठति सर्वदा ||


चंदन का तीलक महापुण्यदायी है | आपदा हर देता है |

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