प्रारब्ध न्यूज़ डेस्क,लखनऊ
कानपुर नगर पूरे देश में अपनी अनूठी एवं ऐतिहासिक घटनाओं के लिए अपना एक विशेष महत्व रखता है।कानपुर की होली पूरे भारत में अपना अलग स्थान रखती है क्योकि कानपुर में होली से लेकर कानपुर हटिया होली मेला (गंगा मेला) तक होली का उल्लास रहता है।इस बार 81 वां होली का मेला दिनांक 23 मार्च, दिन बुधवार अनुराधा नक्षत्र में प्राचीन परम्परा के अनुसार मनाया गया।
कानपुर के होली मेले का एक इतिहास रहा है।
यह होली का मेला आजादी के दीवानों की याद में मनाया जाता है। स्वतन्त्रता आन्दोलन चरम सीमा मे था, सन् 1942 में ब्रिटिश सरकार के तत्कालीन जिलाधिकारी कानपुर में होली खेलने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था।
हटिया के नव युवकों ने यह तय किया कि यह हमारा धार्मिक त्यौहार है इसे हम पूरे हर्ष उल्लास के साथ मनायेंगे। देश आजाद हुआ सन् 1947 में लेकिन कानपुर के हटिया में आज़ादी का झण्डा सन् 1942 की होली में ही हटिया रज्जन बाबू पार्क में क्षेत्रीय नवयुवक बाबू गुलाब चन्द सेठ के नेतृत्व में इकट्ठा हुए और तिरंगा फहराकर भारत माता की जय, हम आजाद हैं, के जयघोष के साथ रंग खेलना प्रारम्भ किया।
तत्कालीन शहर कोतवाल के नेतृत्व में हटिया पार्क को चारो तरफ से पुलिस ने घेर लिया और रंग खेल रहे नव युवकों को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया। इसकी प्रतिक्रिया स्वरुप देश की आजादी के लिए पूरे शहर में भयंकर होली खेली गयी और ऐलान किया गया कि जब तक नवयुवक नहीं छोड़े जायेगे निरन्तर होली खेली जायेगी। शहर में कई दिनों तक रंग चला।
अतः ब्रिटिश सरकार को झुकना पड़ा और गिरफ्तार नवयुवकों को छोड़ना पड़ा। संयोगवश जिस दिन बन्दी छोड़े गये उस दिन अनुराधा नक्षत्र था, तभी से कानपुर में होली का समापन अनुराधा नक्षत्र के दिन गंगा मेले के रुप में मनाया जाने लगा। इस वर्ष देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है लेकिन कमेटी इस वर्ष होली मेले (गंगा मेला) की 81वीं वर्षगांठ मनायी गई।
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