विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)
शक संवत : 1943
अयन : उत्तरायण
ऋतु : शिशिर
मास : माघ (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार - पौष)
पक्ष : शुक्ल
तिथि - चतुर्दशी रात्रि 09:42 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
नक्षत्र - पुष्य दोपहर 01:49 तक तत्पश्चात अश्लेशा
योग - सौभाग्य रात्रि 09:18 तक तत्पश्चात शोभन
राहुकाल - शाम 03:45 से शाम 05:11 तक
सूर्योदय - 07:10
सूर्यास्त - 18:35
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण -
ऐसे तो माघ की प्रत्येक तिथि पुण्य पर्व है, तथापि उनमें भी माघी पूर्णिमा का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्त्व है । इस दिन स्नानादि से निवृत्त होकर भगवत्पूजन, श्राद्ध तथा दान करने का विशेष फल है । माघी पूर्णिमा के दिन तिल, सूती कपडे, कम्बल, रत्न, पगडी, जूते आदि का अपने वैभव के अनुसार दान करके मनुष्य स्वर्गलोक में सुखी होता है । ‘मत्स्य पुराण के अनुसार इस दिन जो व्यक्ति ‘ब्रह्मवैवर्त पुराण का दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है ।
विशेष - 16 फरवरी 2022 बुधवार को माघी पूर्णिमा है।
माघी पूर्णिमा
धर्म शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि को विशेष फलदाई माना गया है। उन सभी पूर्णिमाओं में माघी पूर्णिमा का महत्व कहीं अधिक है। पुराणों के अनुसार, इस दिन विशेष उपाय करने से धन की देवी मां लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं। और भी कई उपाय इस दिन करने से शुभ फल मिलते हैं। ये उपाय इस प्रकार हैं-
1. माघी पूर्णिमा माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विशेष तिथि मानी गई है। इस पूर्णिमा की रात लगभग 12 बजे महालक्ष्मी की भगवान विष्णु सहित पूजा करें एवं रात को ही घर के मुख्य दरवाजे पर घी का दीपक लगाएं। इस उपाय से माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर उस घर में निवास करती हैं।
2. माघी पूर्णिमा की सुबह पास के किसी लक्ष्मी मंदिर में जाएं और 11 गुलाब के फूल अर्पित करें। इससे माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की कृपा भी आपको प्राप्त होगी और अचानक धन लाभ के योग भी बनेंगे।
3. माघी पूर्णिमा की सुबह पूरे विधि-विधान से माता सरस्वती की भी पूजा की जाती है। इस दिन माता सरस्वती को सफेद फूल चढ़ाएं व खीर का भोग लगाएं। विद्या, बुद्धि देने वाली यह देवी इस उपाय से विशेष प्रसन्न होती हैं।
4. पितरों के तर्पण के लिए भी यह दिन उत्तम माना गया है। इस दिन पितरों के निमित्त जलदान, अन्नदान, भूमिदान, वस्त्र एवं भोजन पदार्थ दान करने से उन्हें तृप्ति होती है। जोड़े सहित ब्राह्मणों को भोजन कराने से अनन्त फल की प्राप्ति होती है।
5. वैसे तो सभी पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की पूजा होती है किंतु माघ मास की पूर्णिमा पर इसका महत्व बढ़कर बताया गया है। शाम को भगवान सत्यनारायण की पूजा कर, धूप दीप नैवेद्य अर्पण करें। भगवान सत्यनारायण की कथा सुनें।
6. माघी पूर्णिमा पर दान का भी विशेष महत्व है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन जरूरतमंदों को तिल, कंबल, कपास, गुड़, घी, मोदक, जूते, फल, अन्न आदि का दान करना चाहिए।
पंचक
पंचक का आरंभ 28 मार्च 2022, सोमवार को 23.56 पीएम से
पंचक का समापन- 2 अप्रैल 2022, शनिवार को 29.24 मिनट पर।
एकादशी
रविवार, 26 फरवरी 2022- विजया एकादशी
सोमवार, 14 मार्च 2022- आमलकी एकादशी
सोमवार, 28 मार्च 2022- पापमोचनी एकादशी
प्रदोष
28 फरवरी, दिन: सोमवार, सोम प्रदोष व्रत, पूजा मुहूर्त: शाम 06:20 बजे से रात 08:49 बजे तक
15 मार्च, दिन: मंगलवार, भौम प्रदोष व्रत, पूजा मुहूर्त: शाम 06:29 बजे से रात 08:53 बजे तक
29 मार्च, दिन: मंगलवार, भौम प्रदोष व्रत, पूजा मुहूर्त: शाम 06:37 बजे से रात 08:57 बजे तक
पूर्णिमा
16 फरवरी, दिन: बुधवार: माघ पूर्णिमा
17 मार्च, दिन: गुरुवार: फाल्गुन पूर्णिमा
अमावस्या
फाल्गुन अमावस्या बुधवार 2 मार्च, 2022।
if you have any doubt,pl let me know