महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण का आरोप-केंद्र सरकार ने वन रैंक, वन पेंशन के नाम पर 30 लाख पूर्व सैनिकों को दिया धोखा
सेना के बजट में 60 साल की सबसे बड़ी कटौती, सिविलियन कर्मचारियों के मुकाबले भेदभाव कर सैनिकों का मनोबल तोड़ने का भी आरोप
अरुण कुमार 'टीटू', लखनऊ
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की केंद्र में आसीन नरेंद्र मोदी सरकार एक तरफ़ सेना की कुर्बानी और उसके शौर्य का इस्तेमाल अपने राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए कर रही है। दूसरी ओर सेना और सैनिकों के हितों पर कुठाराघात भी कर रहे है। सैनिकों को वन रैंक, वन पेंशन के नाम पर धोखा दिया है। सेना के पदों को न भरना तो दूर, सेना की मूलभूत सुविधाएं भी छीन रही है। विसंगतियों को जानबूझकर नज़रंदाज करके सिविलियन कर्मचारियों के मुकाबले भेदभाव कर रही है। पूर्व सैनिकों के पुनर्वास व रोज़गार पर चोट पहुंचा कर सेना का मनोबल तोड़ने की साजिश कर रही है। यह आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार व भाजपा को महराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कठघरे में खड़ा दिया। वह शुक्रवार को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के लखनऊ स्थित मुख्यालय पर मोदी राज में सेना और सैनिकों को लेकर हो रहे अपमान पर श्वेतपत्र ‘शौर्य के नाम पर वोट सेना के हितों पर चोट जारी करते हुए पत्रकारों से बात करते हुए कहीं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी अपनी सेनाओं को याद करते हैं, हमारा मस्तक गर्व से ऊंचा हो जाता है। जब-जब भारत माँ की गरिमा पर आँच आई है, तब-तब हमारी सेनाओं का हर एक सपूत अपना सर्वाेच्च बलिदान देकर भारत माँ के गौरव की रक्षा करते हैं। देश की माटी की रक्षा की अटूट सौगंध लेकर यह कुर्बानी सिर्फ हमारे सैनिक ही दे सकते हैं। मगर मोदी सरकार ने देश की सुरक्षा से ही समझौता कर लिया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी ऑन एस्टीमेट की रिपोर्ट में बताया था कि मोदी सरकार भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ कर रही है। सेना के हितों को नकार कर सरकार ने सेना के बजट में 60 वर्ष की सबसे बड़ी कटौती की है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की असंवेदनशीलता का इससे बड़ा सबूत क्या हो सकता है। जिस दिन हमारे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत जी और उनकी धर्मपत्नी दुखद दुर्घटना में शहीद हुए, उसी दिन उनके पितातुल्य ससुर की समाधि पर मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार बुलडोजर चलवा देती है। जाे स्पष्ट करता है कि केंद्र की भाजपा सरकार सेना के शौर्य के नाम पर वोट तो बटोरती है पर सैनिकों के अधिकारों पर रोज कुठाराघात करती है। भाजपा के एक और वरिष्ठ नेता मेजर जनरल बीसी खंडूरी ने पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी ऑन डिफेंस के प्रमुख रहते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मोदी सरकार ने न सिर्फ भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से कुठाराघात किया है। अपितु, सेना के आधुनिकीकरण को भी नुकसान पहुंचाया है।
तीनों सेनाओं में 1.22 लाख पद रिक्त
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 13 दिसंबर, 2021 को रक्षा मंत्रालय ने संसद को बताया था कि तीनों सेनाओं में 1,22, 555 पद खाली पड़े हैं, जिसमें 10,000 पद सैन्य अधिकारियों के हैं। ‘वन रैंक, वन पेंशन’ के नाम पर 30 लाख पूर्व सैनिकों को धोखा दिया गया है। यूपीए-कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2004 से वर्ष 2012 के बीच तीन बार भूतपूर्व सैनिकों को पेंशन दी, जिससे उन्हें ₹7,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आर्थिक फायदा हुआ। मगर सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने 7 नवंबर 2015 को नया आदेश निकाला और सेना के 30-40 प्रतिशत सैनिकों से वन रैंक, वन पेंशन छीन लिया।
पूर्व सैनिकों के इलाज के बजट में कटौती
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ईसीएचएस बजट में लगातार कटौती कर रही है। चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में पिछले साल के मुकाबले पूर्व सैनिकों का ईसीएचएस बजट में 1,990 करोड़ रुपये की कटौती की गई। जिससे ईसीएचएस के एम्पेनल्ड अस्पतालों का भुगतान नहीं हो रहा है। नतीजतन रेफर होने के बाद भी पूर्व सैनिकों और अधिकारियों का इलाज नहीं हो रहा। इसी तरह सीएसडी कैंटीन से सैनिकों व अधिकारियों द्वारा उपभोक्ता वस्तुओं की खरीद पर अधिकतम ₹10,000 प्रतिमाह की सीमा निर्धारित कर अंकुश लगाया है। साथ ही वर्ष 2017 से सीएसडी कैंटीन में बिकने वाले सामान पर आधी यानि 50 प्रतिशत दरों पर जीएसटी ली जा रही है। सैनिकों को मिलने वाली डिसएबिलिटी पेंशन पर भी टैक्स लगा दिया है।
सिविल सर्विसेज के अधिकारियों से कम पेंशन
सातवें वेतन आयोग में डिफेंस पे मैट्रिक्स में 24 पे लेवल निर्धारित किए गए, जबकि सिविलियन सेवाओं में पे मैट्रिक्स में 40 लेवल हैं। सैनिकों व अधिकारियों की पेंशन सिविल एम्प्लॉईज़ से लगभग 20,000 रुपये कम रहती है। केंद्र सरकार के अतिरिक्त सचिव को ₹60,000 डिसएबिलिटी पेंशन मिलती है, जबकि सेना के लेफ्टिनेंट जनरल को ₹27,000 मिलती है। बराबरी की मांग के बावजूद इसे दरकिनार कर दिया गया। सेना में हजारों की संख्या में पुरुष व महिला अधिकारी शॉर्ट सर्विस कमीशन से देश सेवा में योगदान देते हैं। इनको आजीवन मिलिट्री अस्पताल में मुफ्त इलाज की सुविधा थी, अब प्रतिबंध लगा दिया।
अर्द्धसैनिक बलों के जवान को शरीद दर्जा से किया वंचित
उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि देश सेवा में कुर्बान होने वाले अर्द्धसैनिक बलों, सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी, कोस्ट गार्ड के जवानों को शहीद का दर्जा से वंचित कर दिया है। एेसे में परिवार को न उचित मुआवजा और न सरकारी नौकरी मिलती है। कांग्रेस सरकार ने 23 नवंबर, 2012 को सभी अर्द्धसैनिक बलों को एक्स सेन्ट्रल आर्म्ड पोलिस फोर्स पर्सनल चिन्हित करते हुए केंद्रीय व प्रांतीय सरकारों को आदेश जारी किया कि सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी, कोस्ट गार्ड के सभी रिटायर्ड अधिकारियों को तीनों सेनाओं के समान एक्स सर्विसमैन की सभी सुविधाएं दी जाएं, इसकी अनदेखी हो रही है।
प्रेसवार्ता में यह रहे मौजूद
इस दौरान महराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया एंड कम्युनिकेशन विभाग के चेयरमैन नसीमुद्दीन सिद्दीकी, संगठन महासचिव उत्तर प्रदेश दिनेश सिंह, राष्ट्रीय सचिव सचिन नाइक, बाजीराव खाड़े, नागपुर से पूर्व कांग्रेस विधायक अनीस अहमद, मीडिया एंड कम्युनिकेशन विभाग के वाइस चेयरमैन पंकज श्रीवास्तव, प्रिंट मीडिया संयोजक और प्रवक्ता अशोक सिंह, प्रवक्ता संजय सिंह, सचिन रावत, प्रदीप सिंह समेत सैकड़ों पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद रहे।
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